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7.12.10

ab hone lagi sahi aav-bhagat

दहेज़ में कार मांगने पर दुल्हन ने किया निकाह से इंकार-दुल्हे समेत पूरी बारात बने बंधक,बाइक की जगह कार मांगने पर हुआ बबाल :
आजकल रोज़ ही समाचार पत्र इन समाचारों से भरे हैं कि दहेज़ मांगने पर वहाँ पिटे बाराती,वहाँ बारात लौटाई,लड़की ने किया इंकार,आदि आदि.ये सत्य है कि ये सारी घटनाएँ सत्य की कसोटी पर खरी नहीं होती ,हर  जगह दहेज़ ही मुख्या रूप से झगडे की वजह नहीं होता किन्तु ये बात तो फिर भी स्वागत योग्य है कि हमेशा से दहेज़ की वेदी पर लड़की का जीवन ही चढ़ता रहा है अब लड़कों का जीवन भी इस बलिवेदी पर चढ़ाया जाने लगा है.हिम्मत बढ़ी है .लड़कियों के पक्ष में जनसमर्थन मज़बूत हुआ है और लड़कियों के कार्यों को सराहा जाने लगा है.
  ये बात तो दूल्हा पक्ष भी मान रहा है कि हमने कार मांगी थी आखिर ये कब तक चलता रहेगा कि दूल्हा पक्ष विवाह के समय को आर्थिक समृद्धि का अवसर मानकर भुनाता रहे.आखिर दुल्हन को भी तो उसके माँ -बाप बचपन से पाल पोस कर बड़ा  करते हैं तो क्या ये कार्य मुफ्त में ही हो जाता है जो दुल्हे के अपने पैरों पर खड़ा होने की कीमत दुल्हन पक्ष से वसूल की जाती है.
  दूसरे मुस्लिम समाज में तो दहेज़ की बात गले नहीं उतरती क्योंकि इनमे तो मेहर का प्रचलन है जो दुल्हे द्वारा दुल्हन को कभी विवाह के वक़्त तो कभी तय समय पर दिया जाता है ऐसे में इनमे ये प्रथा कैसे जोर पकड़ गयी समझ से परे है.
              खैर जो भी हो पर इस तरह कि घटनाओं ने ऐसे माँ-बाप और लड़कियों को साह्स दिया है जो समाज के डर से दहेज़ की चक्की में अपना सर्वस्व पीस देते थे.एक बार फिर खानपुर वालों को बधाई....

1 comment:

Shikha Kaushik said...

bilkul sahi kaha,aaj ladkiyon ne apni kabiliyat har jagah dikhai hai phir ve hi kyon hamesha galat bat ke aage jhuken aaj samay aa gaya hai ki ve dridhta ke sath aise lalchiyon ka samna karen aur unhe aaina dikhaien.