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5.12.10

राडिया के हम्माम में सभी नंगे हैं-ब्रज की दुनिया

कहते हैं कि हम्माम में सभी नंगे होते हैं.दूसरों की क्या कहूं मैं खुद भी कपड़े पहन कर नहाना पसंद नहीं करता.कुछ बंधन जैसा लगता है या फ़िर लगता है कि नहाया ही नहीं.बचपन में सातवीं कक्षा में पढने तक मैं सार्वजनिक जगहों पर भी नंगा होकर निस्संकोच नहा लेता था.भारतीय नंगे होकर नहाने का महत्त्व हमेशा से समझते रहे हैं.यही कारण है कि सिन्धु घाटी सभ्यता के अवशेष स्थल मोहनजोदड़ो से कई विशालकाय हम्माम प्राप्त हुए हैं.सोंचिए अगर गोपियाँ नंगी होकर नहीं नहातीं तो कृष्ण को वस्त्रहरण की मधुर-लीला करने का महान व ऐतिहासिक अवसर कैसे प्राप्त होता और कृष्ण की इस लफुअई पर कैसे भागवतपुराण के प्रवचक-व्याख्याकार वारी-वारी जाते.खैर हम्माम में सभी नंगे होते हैं और ऐसा होने में कुछ बुरा भी नहीं है यह सभी मानते हैं.लेकिन आज के संचार क्रांति के युग में लोगों के नंगा होने के तरीके में भी हाईटेकपन आ गया है.पहले जब टी.वी. का महत्व ज्यादा था तब कई सांसद और अधिकारी टी.वी. पर नंगा होते दिखने लगे.कोई सीधे भौतिक रूप से नंगा होते हुए देखा गया तो कोई चारित्रिक रूप से और सगर्व यह कहता हुआ कि बाखुदा पैसा खुदा तो नहीं है लेकिन खुदा कसम यह खुदा से कम भी नहीं है.लेकिन तेजी से बदलती दुनिया में जल्दी ही टी.वी. से ज्यादा महत्वपूर्ण और अपरिहार्य हो गया मोबाईल फोन.तब लोगों ने फोन पर नंगा होना ज्यादा प्रतिष्ठापूर्ण समझा.अचानक साइबर अन्तरिक्ष में एम.एम.एस. के माध्यम से सेक्स क्लिपों की बाढ़ आ गई.लेकिन शारीरिक रूप से नंगा होते और नंगे होते लोगों को देखते-देखते लोग जल्दी ही उबने लगे और तब उनकी सहायता के लिए आगे आई नीरा राडिया जैसी पी.आर..राजनेता,व्यापारी और पत्रकार बारी-बारी नीरा राडिया के फोन पर पूरे मान-सम्मान के साथ नंगे होने लगे.सबका देशद्रोही और लालची रूप सामने आने लगा.अब तक श्रद्धा के पत्र रहे लोग अचानक मानव पद से नीचे गिरते देखे गए.राडिया की बदनाम दुनिया में कोई पैसों के बल पर सत्ता को नचाता पाया गया तो कोई पैसों के घूँघरू पहनकर नाचता हुआ-ता ता थई,तिक्ता तिक्ता थई.नीरा की कृपा से यह भी पता चला कि भारत सच्चे अर्थों में बहुत बड़ा और विविधतापूर्ण बाजार बन चुका है.ऐसा बाजार जहाँ सबकुछ बिकता है.सिर्फ खरीदने के लिए पैसा चाहिए.भाजपा से लेकर कांग्रेसी नेता तक,टाटा से लेकर नरेश गोयल और बरखा दत्ता से लेकर वीर सांघवी तक सब देश को धोखा देते और लूटते पाए गए.इतना नंगा तो कोई हम्माम में भी नहीं होता.वहां तो सिर्फ तन अनावृत रहता है लेकिन राडिया के फोनरूपी हम्माम में तो सबका मन ही नंगा हो गया और फ़िर लोगों का ऐसा विकृत रूप खुलकर सामने आया जो मन में केवल दो ही रसों की उत्पत्ति कर सकता था और वे रस थे या तो वीभत्स रस या फ़िर जुगुप्सा रस.

1 comment:

S.M.Masoom said...

विकृत रूप? ऐसा तो नहीं की आज़ादी के बाद लुटेरों की चांदी हो गयी..अगर ऐसा हुआ तो क्यों हुआ, यह ध्यान देने योग्य बात है