हलाहल को पीकर के पलता रहूंगा
कफन बांध सिर पर मैं चलता रहूंगा
मेरी भी ज़रूरत पडेगी वतन को
उजाले की खातिर मैं जलता रहूंगा।
14.12.10
संकल्प
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अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा...
हलाहल को पीकर के पलता रहूंगा
कफन बांध सिर पर मैं चलता रहूंगा
मेरी भी ज़रूरत पडेगी वतन को
उजाले की खातिर मैं जलता रहूंगा।
1 comment:
सार्थक संकल्प..... बहुत सुंदर....
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