एक तरफ मंहगाई की वजह से जनता की कमर वैसे ही टूटी हुई है दूसरी तरफ भ्रष्टाचार ने लोगो का जीना दूभर कर रखा है ऐसे में पेट्रोल के दाम बढाकर आम लोगों के ज़ख्मों पे नमक छिड़कने का क्या मतलब है? अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में भी तेल के दामों में कोई ऐसी बड़ी बढ़ोत्तरी नहीं हुई है की दम बढ़ाना ज़रूरी हो गया हो।
अब तक ये कहा जाता था की अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में तेल का दाम बढ़ने की वजह से पेट्रोल की कीमत बढाई जा रही है लेकिन इस बार ऐसा नहीं है, दाम एकदम स्थिर हैं। सरकार आम आदमी की परेशानी को अनदेखा कर रही है और सिर्फ कम्पनियों के फायदे की सोच रही है। क्या ये आम आदमी की सरकार है ।
अब डीज़ल के दाम बढ़ेंगे फिर रसोई गैस के। जबकि ६ माह पहले ही गैस की कीमतों में भरी बढ़ोत्तरी की गयी थी। क्या हमारे अर्थशास्त्री प्रधान मंत्री जी के पास इसका कोई हल नहीं है?????
किसी के पास कोई जवाब है क्या??????????????????
3 comments:
आम आदमी ने ही उन्हें बहुमत दिया है ? क्या आप सोचते है कि उनको उन लोगो ने गद्दी पर बैठाया है जो उनकी आलोचना करते है ? श्रीमान जी वे पिकनिक मनाने में मशगुल थे ? आम आदमी के पास ना पैट्रोल फुकने के लिये गाडी है और गैस पर बनाने के लिये रासन का भण्डार तो उसे क्यों चिंता होने लगी ? जो चुनाव में मिल जाता है उसको लेकर वोट डाल देते है .... अब रोये वे जिन्होंने उनको वोट देने का अधिकार दिलाया . सरकारी कर्मचारियों का वेतन बद जाता है तो वे उसी सरकार को वोट दे देते है जो उनके लिये अपने भण्डार खोल देती है ?
आम आदमी ने ही उन्हें बहुमत दिया है ? क्या आप सोचते है कि उनको उन लोगो ने गद्दी पर बैठाया है जो उनकी आलोचना करते है ? श्रीमान जी वे पिकनिक मनाने में मशगुल थे ? आम आदमी के पास ना पैट्रोल फुकने के लिये गाडी है और गैस पर बनाने के लिये रासन का भण्डार तो उसे क्यों चिंता होने लगी ? जो चुनाव में मिल जाता है उसको लेकर वोट डाल देते है .... अब रोये वे जिन्होंने उनको वोट देने का अधिकार दिलाया . सरकारी कर्मचारियों का वेतन बद जाता है तो वे उसी सरकार को वोट दे देते है जो उनके लिये अपने भण्डार खोल देती है ?
shayad sarkar bhool gayi hai ki bharat gareebon ka desh hai .yadi aise hi petrol ke daam bdhte rahe to ek din iska jawab mangne ke liye har bhartiye ko sadak par utarna hi hoga .mere blog ''vikhyat'par aapka hardik swagat hai .
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