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नाम – स्वस्तिका|
उम्र – ११ माह १९ दिन|
तारीख – इस्लामी हिजरी १४३१ के आखिरी महीना जिल्हिज्जा का आखिरी दिन |
स्थान – इबलीस के नुमाइंदों का काबा, दारुले हरब का केन्द्र बनारस|
समय – मुशरिकों की इबादत का समय, जब काफिर बड़ी संख्या में अपने माबूद की इबादत कर रहे हों|
आदेश – और तुम्हारा ईलाह एक अल्लाह है, उसके सिवा कोई माबूद नहीं| (सूरा बकरा – १६३ )
एक धमाका |
परिणाम – वह (काफ़िर) हमेशा इसी हालत में रहेंगे, इनकी न तो सजा ही हलकी की जायेगी और न इनको मुहलत ही मिलेगी| (सूरा बकरा – १६३)
व्याख्या – और लोगों में कुछ ऐसे भी हैं जो अल्लाह के सिवा और को भी बराबर ठहराते हैं ( आधुनिक गांधीवादी और तथाकथित धर्मनिरपेक्ष) की जैसी मुहब्बत अल्लाह से रखनी चाहिए वैसी मुहब्बत उनसे रखते हैं (ईश्वर, अल्लाह तेरो नाम, सबको सन्मति दे भगवान अथवा एस डी वाजपेयी का गीता और कुरआन) और ईमानवाले जो हैं, उनको तो सबसे बढ़कर मुहब्बत अल्लाह से ही होती है ( इसी ब्लॉग मंच पर सिद्ध हो चूका है), और क्या ही अच्छा होता की इन अन्यायियों (काफ़िर, बुतपरस्तों) को सुझाई दे जाता जो उस समय सुझाई देगा (१३-२ -२०१०,२६-११-२००८,३०-१०२००८,२९-९-२००८,२७-९-२००८,१३-९-२००८,२६-७-२००८,२५-७-२००८,१४/१५-८-२००८,२८-७-२००५,७-३-२००६,२२-५-२००७,२३-११-२००७,१-१-२००८ इत्यादि,इत्यादि ) जब अजाब उनके सामने होगा की सारी ताकत ( ए के ४७ ,बम से लेकर छुरे तक ) अल्लाह के ही अधीन है और यह की अल्लाह कड़ा अजाब देने वाला है| ( सूरा बकरा – १६५ )
अब चाहे कितने ही बुद्धिहीन, बुद्धिजीवी तथाकथित धर्मनिरपेक्ष मसखरे यह सिद्ध करने का प्रयास करें की वाराणसी में जो कुछ भी हुआ उसका कोई धार्मिक आधार न होकर मात्र एक विधिक समस्या है और उसका इस्लाम से कोई वास्ता नहीं, कुरान के आलोक में यह बात पुरी तरह से स्पष्ट है की बनारस में इंडियन मुजाहिद्दीन द्वारा जो कुछ भी किया गया है वह दीनी है और अल्लाह के मुसलमानों के साथ हुए अहद के मुताबिक है| अलहम्दुलिल्लाह रब्बिलाल्मिन अर्थात सब और की प्रशंसा सिर्फ और सिर्फ अल्लाह के लिए है और जलिकल किताबु ला रैब ज साला फीहिज अर्थात यह वह किताब है, जिसमे कोई संदेह नहीं|
मैं आना ही नहीं चाहता था,अश्विनी भाई के साथ हुई दुखद दुर्घटना और मंच पर एक बड़े वर्ग द्वारा सत्य को झुठलाये जाने की प्रवृत्ति ने मुझे अंदर तक झकझोर कर रख दिया था लेकिन मंगलवार के दिन वाराणसी में हिंदू आतंकवादियों के निर्लज्ज आचरण ने एक बार फिर से मुझे इस मंच पर आने के लिए बाध्य कर दिया| हिंदू आतंकवादियों ने अल्लाह के नाम पर धमाका करने के लिए शीतला घाट जैसा जगह चुना अगर यह धमाका दशाश्वमेघ घाट पर हुआ होता तो शायद कुछ और कुर्बानियां मिल सकती थी|
भारतीय समय के अनुसार छह बजकर पांच मिनट पर गंगा आरती प्रारंभ हुई, छह बजकर ३५ मिनट पर जय,जय भागीरथ नंदिनी, मुनिचय चकोर चन्दिनी पूरा भी नहीं हो पाया था आरती स्थल से मात्र २० मीटर की दुरी पर एक शक्तिशाली बम विस्फोट हुआ| बम कूड़ा फेकने वाले डिब्बे में रखा गया था|विस्फोट इतना शक्तिशाली था की शीतला घाट की रेलिंग के परखच्चे उड़ गए|पत्थर के मजबूत बोल्डर उखड गए और धमाके की आवाज २ किलोमीटर तक स्पष्ट रूप से सुनाई पड़ी|विस्फोट के तत्काल बाद हिंदू आतकवादी संगठन इंडियन मुजाहिद्दीन की और से समाचार एजेंसियों ही नहीं कुछेक राष्ट्रवादी ब्लोगरों को भी कुरान की आयत को उद्धृत करते हुए एक इ मेल प्राप्त हुआ जिसमे कहा गया की यह बम विस्फोट इंडियन मुजाहिद्दीन की तरफ से विश्व के महानतम लोकतंत्र में ६ दिसंबर की घटना के उत्तर में है, जब तक मुसलमानों को उनके प्यारे बाबरी खंडहर की क्षतिपूर्ति न कर डी जाय| ऐ कमीने शिव और पारवती के यौनांगो को पूजने वाले मुर्ख भरोसा रख की इंडियन मुजाहिद्दीन,महमूद गजनी,मुहम्मद गोरी,कुतुबुद्दीन ऐबक,फिरोज शाह तुगलक और औरंगजेब (अल्लाह इनको अपनी कुदरत से नवाजे)के बेटों ने यह संकल्प लिया है की तुम्हारे कोई भी मंदिर तब तक सुरक्षित नहीं रहेंगे जब तक की भारत भर में हमारे सारे कब्जे वाले मस्जिद मुसलमानों को सम्मान के साथ लौटा न दिए जांय|
ठीक ऐसी ही शब्दावली मेरे द्वारा लिखित ब्लॉग ”क्या कहता है कुरान हिंदुओं के बारे में भाग-१ ‘ में आज से तीन महीने पहले रमजान में ही किसी अज्ञात टिप्पणीकार द्वारा दाल डी गई थी| अब भी जहाँ भी कुरान की बात होती है ठीक इसी तरह की प्रतिक्रिया ब्लोगरों को प्राप्त होती है|मैं अपने ही द्वारा लिखे गए ब्लॉग पर आई टिपण्णी को उद्धृत करना चाहूँगा………………………
music के द्वारा
August 24, 2010
वाह बेटा तो यह अब मंच की गरिमा के अनुरूप नहीं है. और जो तुमलोगों ने शुरू किया है शायद वोह मंच के लिए सही है. अब ले मैं यह सारी बात हिंदी शब्दों में लिख देता हूँ. तब शायद समझ में आ जाएगा.
अगर तुम हिन्दुओं के हिसाब से लोग चलने लगे तो साले तुम्हारे जैसे लोग तो औरतों को फिर से सटी यानि जिन्दा जलने लगोगे. क्या यही हक दिया है तुम्हारे धर्म ने औरतों को जीने का. पत्नी के मरने पर पति को क्यूँ नहीं जिन्दा जलाते ? येही धर्म है तुम्हारा.
औरतें पवित्र हैं या नहीं इसके लिए तुम्हारे राम ने भी उसे आग पर चलने के लिए मजबूर कर दिया . क्या पत्नी पर विस्वास नहीं रहा तुम्हारा. ऐसी एक घटना हाल ही मैं घटी है. तो क्या तुम्हारे धर्म में मर्दों को ऐसे आग से गुज़ारना पड़ता है. नहीं !. पर क्यूँ. तुमलोगों का बस चले तो हर औरत को आग पर चलवाओ.
अगर औरत को स्तन नहीं हो रहा है तो वोह किसी के साथ भी सो सकती है बच्चा पैदा करने के लिए. क्या येही तुम्हारे धर्म में है. अब ऐसा करने के लिए कहा जाता है तुम्हारे धर्म में औरतों को . क्या येही हिन्दू धर्म है.?
जगह जगह नंगी औरतों की मूर्तियाँ और फोटो बनके तुमलोग क्या साबित करना चाहते हो की औरतों की तुम बहुत इज्ज़त करते हो. सरे अजंता और अल्लोरा की मूर्तियों को देखो, और दुसरे मूर्तियों को भी तो मालूम चलेगा ही यह सब ब्लू फिल्म के स्चेने हैं यानी बिलकुल 100 % porn हैं. क्या ऐसे ही खोल कर रखने की इज़ाज़त देता है तुम्हारा धर्म औरतों के बारे में.
जिस को मान कहते हो ऐसी देवी की मूर्ति बनाते हो. उसके आगे पीछे बार बार हाथ लगते हो. ऊपर नीचे सब जगहों को देखते हो. शर्म नहीं आती तुमलोगों को मान के बदन पर हाथ फेरते हो. और तो और पीछे से डंडा भी लगा देते हो. और कितनी इज्ज़त देना चाहते हो तुमलोग. बंद करो औरतों की अपने धर्म में बेईज्ज़ती . औरतों को सम्मान देना सीखो बेटा.
येही कारण है के हिन्दू औरतें दुसरे धाम के साथ जा रही हैं. क्यूंकि उन्हें वहां इज्ज़त , सम्मान और ज़िन्दगी सभी कुछ मिलता है. सुधर जाओ रे. औरतों की इज्ज़त को नीलम मत करो.
फ़ेंक दो अपने उन किताबों को जिसमें यह सारे गलत बातें लिखी हैं. सुधारो अपने साधू संतों को जो आये दिन रपे और लड़कियों का धंधा करते रहते है. वोह तो वास्तव में दलाल है. कुछ तो शर्म करो.
वोह विष्णु कितना अच्छा था सभी जानते हैं जिसने बलात्कार किया स्त्री का. पवन देवता ने भी ऐसे ही बलात्कार किया जिसका नतीजा हनुमान हुआ. न इधर का रहा न उधर का. एक औरत के साथ पांच पांच मर्द महाभारत में दिखाया. यह तो हद हो गयी.
और तो और सालों ने जुआ में अपने बीवी को ही लगा दिया. यह कौन से इज्ज़त दी है तुमलोगों ने स्त्री को. कृष्ण जहाँ रहा उनकी ही घर में सेंध लगा कर उनकी ही घर के लड़की को भगा ले गया. शर्म करो रे. सुधर जा अभी भी.
जिस लिंग की पूजा करते हो वोह है क्या जानते हो. वोह कुछ और नहीं वोह लिंग ही है. ऐसे स्त्रियों को खेलो मत तुमलोग.|
कहीं ब्लॉगों पर प्रतिक्रिया करने वालो के भी तार इंडियन मुजाहिद्दीन से तो नहीं जुड़े हुए हैं|आप कह सकते हैं की मैंने भी तो प्रज्ञा ठाकुर पर एक पूरी की पूरी कविता ही समर्पित कर दी है,लेकिन मेरा उनसे उतना ही सम्बन्ध है जितना की एक आम पाठक का देश विदेश के अन्य समाचारों के प्रति रहता है|
क्या एक ११ माह के बच्ची की हत्या ही राष्ट्रिय शर्म के प्रतीक बाबरी ढांचे की क्षतिपूर्ति है? यदि हाँ, तो क्षतिपूर्ति हो चुकी है और अब क्या इंडियन मुजाहिद्दीन वाहन पर रामलला के मंदिर निर्माण में सहयोग करेगा? संगठन द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति पर ध्यान दीजिए|ऐसा कभी नहीं होगा|एक नहीं हजारों स्वस्तिकाएं भी जिबह कर दी जाएँ तो भी कुरान की रक्त पिपासा शांत नहीं होगी|यहाँ तक की फितना भी बाकी न रह जाए सिर्फ अल्लाह के|
चलो मान लिया|पुरे विश्व में इस्लाम हो गया….अब ….कुरान मौन है क्योंकि नबी उनके आखिरी पैगम्बर है|और जब सब मुर्दे जिला दिए जायेंगे तब उनसे पूछा जायेगा की तुमने अल्लाह को छोड़कर और किसी की उपासना तो नहीं की? और अगर सब मुस्लमान भी हो जाएँ,तब भी यह सवाल पूछा जायेगा…..मिकाइल और जिब्राईल के द्वारा|
सबसे बड़ी बात तो यह है की चाहे एक मारें या एक हजार|जिन लोगों ने अनदेखे, अनजाने हिंदू आतंकवाद के नाम पर हाय तौबा मचा रखा है, क्या बनारस की घटना के बारे में उनके मुंह में उफ्फ़ करने की भी जुबान नहीं है? जाओ राहुल से पूछो की इंडियन मुजाहिद्दीन के बारे में उनका क्या विचार है और यह संघ का कौन सा आनुसांगिक संगठन है? जाओ चिदंबरम से पूछो की हिंदू आतकवाद के इस रूप पर आपकी क्या टिपण्णी है?जाओ जनार्दन द्विवेदी से पूछो की पुरातत्व संग्रहालय से निकले इस कौम के बारे में उनकी क्या मान्यता है? जाओ सोनिया से पूछो की मुद्दे पर पोप से बात करने के लिए वे कब इटली रवाना होंगी?जाओ मनमोहन से पूछो की हेनरी हाइड एक्ट के रूप में गुप्त समझौता करने वाले अमेरिका का इस घटना के प्रति क्या दृष्टिकोण है?
बनारस के साथ हमेशा ही सौतेला व्यवहार किया गया है|दिल्ली राजनैतिक रूप से चर्चित है,मुंबई आर्थिक रूप से चर्चित है तो बनारस धार्मिक,आध्यात्मिक और सांस्कृतिक रूप से चर्चित है| अगर रोम में पोप को एक चींटीं भी काट ले अथवा काबा में संगे अस्वाद की और मुंह काके एक कुत्ता भी भौंक दे तो वह महीनों तक मिडिया में छाया रहता है|बनारस में २००५ में ही दशाश्वमेघ घाट पर आतंकी हमला हुआ था और प्रशासनिक अमलों में इसे सिलिंडर विस्फोट का नाम दिया गया|क्या सिलिंडर में अमोनियम नाइट्रेट और चारकोल का प्रयोग किया जाता है? बनारस की सुरक्षा के साथ मजाक करने के लिए केन्द्र और राज्य दोनों ही सरकारें दोषी हैं|इस धमाके ने बनारस के अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन उद्योग को दश साल पीछे धकेल दिया हैं|
8.12.10
अल्लाह के नाम पर
Posted by Manoj Kumar Singh 'Mayank'
Labels: AAtankwaad, आतंकवाद, युवा और आतंक, वाराणसी, वाराणसी बम विस्फोट
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13 comments:
भाई आपका दर्द समझ आ रहा है। इस हिन्दुस्थान में अब केवल दर्द ही शेष है।
आँख खोल देने वाला लेख
आँख खोल देने वाला लेख
बहुत खोजते हुए आप के ब्लॉग तक आय . क्यों की ''भड़ास'' में आप का लिंक नही था . भला हो गूगल का जो आप को ख़ोज पाया .
आप ऐसे ही जन जागरण के लिए लिखते रहिये हम आप के साथ है .
वन्दे मातरम
इन लातो के भूतो को बातो से नहीं समझाया जा सकता
आपकी टिप्पड़ी अच्छी थी। पर उसमे एक कमी थी। इंडियन मुजाहिद्दीन का मतलब आपने हिन्दू आतंकवाद से लगाया। जबकि इंडियन मुजाहिद्दीन का जन्म गुजरात कांड के बाद मुस्लिम समुदाय के आतंकवादी चेहरे के रूप में सामने आया। इस आतंकवादी संगठन ने अक्षरधाम मंदिर में बम ब्लास्ट कर अपनी आमद दर्ज कराइ थी। जहा तक बात करे करण की तो उस किताब के लिए कुच्छा भी कहना गलत होगा। क्युकी कोई भी मजहबी किताब आतंकवाद की सीख नहीं देती। हां इस्लाम के नुमानिदो ने इसे गलत रूप में जरूर पेश किया। रही बात हिंदुस्तान में मजहब के नाम पैर खून खराबे की तो इसके लिए यह मजहब हमेसा ही बदनाम रहा है। जाहिलो की यह कौम पूरे संसार में अपनी कौम को पनपाना चाहती है। यह जानते हुए भी की हम सब एक ही इश्वर की संतान हैं इसके बावजूद भी यह गैर इस्लामिक लोगो को काफ़िर करार देती है। अगर बात करे औरतो पैर जुल्म की तो इन लोगो ने भी कभी औरत को सम्मान नहीं दिया। जानवरों की तरह औरतो का शोषर किया। उन्हें नकाब पहनने को मजबूर किया। एक औरत के बावजूद इन लोगो ने औरतो को कपड़ों की तरह बदला। एक-एक मुसलमान ने ४-४ से लगाकर ६-६ औरतो को महज ऐयाशी के लिए रखा। रही बात इबादत की तो यह मूर्ती पूजा को हराम करार देते है मगर मुर्दों की कब्रों पैर माथा टेकते है। इन्हें लगता है के मर वः पैगम्बर इनके लिए अल्लाह से दुआ कर देगा। मोहद। साहब का फोटो हराम है मगर अपना फोटो लगाना फर्ज है। इन जाहिलों से निबटने का एक ही तरीका है जब इनका कत्ले-आम शुरू हो। यह लातो के भूत हैं बातो से नहीं मानेगे।
इन लातो के भूतो को बातो से नहीं समझाया जा सकता
आपकी टिप्पड़ी अच्छी थी। पर उसमे एक कमी थी। इंडियन मुजाहिद्दीन का मतलब आपने हिन्दू आतंकवाद से लगाया। जबकि इंडियन मुजाहिद्दीन का जन्म गुजरात कांड के बाद मुस्लिम समुदाय के आतंकवादी चेहरे के रूप में सामने आया। इस आतंकवादी संगठन ने अक्षरधाम मंदिर में बम ब्लास्ट कर अपनी आमद दर्ज कराइ थी। जहा तक बात करे करण की तो उस किताब के लिए कुच्छा भी कहना गलत होगा। क्युकी कोई भी मजहबी किताब आतंकवाद की सीख नहीं देती। हां इस्लाम के नुमानिदो ने इसे गलत रूप में जरूर पेश किया। रही बात हिंदुस्तान में मजहब के नाम पैर खून खराबे की तो इसके लिए यह मजहब हमेसा ही बदनाम रहा है। जाहिलो की यह कौम पूरे संसार में अपनी कौम को पनपाना चाहती है। यह जानते हुए भी की हम सब एक ही इश्वर की संतान हैं इसके बावजूद भी यह गैर इस्लामिक लोगो को काफ़िर करार देती है। अगर बात करे औरतो पैर जुल्म की तो इन लोगो ने भी कभी औरत को सम्मान नहीं दिया। जानवरों की तरह औरतो का शोषर किया। उन्हें नकाब पहनने को मजबूर किया। एक औरत के बावजूद इन लोगो ने औरतो को कपड़ों की तरह बदला। एक-एक मुसलमान ने ४-४ से लगाकर ६-६ औरतो को महज ऐयाशी के लिए रखा। रही बात इबादत की तो यह मूर्ती पूजा को हराम करार देते है मगर मुर्दों की कब्रों पैर माथा टेकते है। इन्हें लगता है के मर वः पैगम्बर इनके लिए अल्लाह से दुआ कर देगा। मोहद। साहब का फोटो हराम है मगर अपना फोटो लगाना फर्ज है। इन जाहिलों से निबटने का एक ही तरीका है जब इनका कत्ले-आम शुरू हो। यह लातो के भूत हैं बातो से नहीं मानेगे।
इन लातो के भूतो को बातो से नहीं समझाया जा सकता
आपकी टिप्पड़ी अच्छी थी। पर उसमे एक कमी थी। इंडियन मुजाहिद्दीन का मतलब आपने हिन्दू आतंकवाद से लगाया। जबकि इंडियन मुजाहिद्दीन का जन्म गुजरात कांड के बाद मुस्लिम समुदाय के आतंकवादी चेहरे के रूप में सामने आया। इस आतंकवादी संगठन ने अक्षरधाम मंदिर में बम ब्लास्ट कर अपनी आमद दर्ज कराइ थी। जहा तक बात करे करण की तो उस किताब के लिए कुच्छा भी कहना गलत होगा। क्युकी कोई भी मजहबी किताब आतंकवाद की सीख नहीं देती। हां इस्लाम के नुमानिदो ने इसे गलत रूप में जरूर पेश किया। रही बात हिंदुस्तान में मजहब के नाम पैर खून खराबे की तो इसके लिए यह मजहब हमेसा ही बदनाम रहा है। जाहिलो की यह कौम पूरे संसार में अपनी कौम को पनपाना चाहती है। यह जानते हुए भी की हम सब एक ही इश्वर की संतान हैं इसके बावजूद भी यह गैर इस्लामिक लोगो को काफ़िर करार देती है। अगर बात करे औरतो पैर जुल्म की तो इन लोगो ने भी कभी औरत को सम्मान नहीं दिया। जानवरों की तरह औरतो का शोषर किया। उन्हें नकाब पहनने को मजबूर किया। एक औरत के बावजूद इन लोगो ने औरतो को कपड़ों की तरह बदला। एक-एक मुसलमान ने ४-४ से लगाकर ६-६ औरतो को महज ऐयाशी के लिए रखा। रही बात इबादत की तो यह मूर्ती पूजा को हराम करार देते है मगर मुर्दों की कब्रों पैर माथा टेकते है। इन्हें लगता है के मर वः पैगम्बर इनके लिए अल्लाह से दुआ कर देगा। मोहद। साहब का फोटो हराम है मगर अपना फोटो लगाना फर्ज है। इन जाहिलों से निबटने का एक ही तरीका है जब इनका कत्ले-आम शुरू हो। यह लातो के भूत हैं बातो से नहीं मानेगे।
इन लातो के भूतो को बातो से नहीं समझाया जा सकता
आपकी टिप्पड़ी अच्छी थी। पर उसमे एक कमी थी। इंडियन मुजाहिद्दीन का मतलब आपने हिन्दू आतंकवाद से लगाया। जबकि इंडियन मुजाहिद्दीन का जन्म गुजरात कांड के बाद मुस्लिम समुदाय के आतंकवादी चेहरे के रूप में सामने आया। इस आतंकवादी संगठन ने अक्षरधाम मंदिर में बम ब्लास्ट कर अपनी आमद दर्ज कराइ थी। जहा तक बात करे करण की तो उस किताब के लिए कुच्छा भी कहना गलत होगा। क्युकी कोई भी मजहबी किताब आतंकवाद की सीख नहीं देती। हां इस्लाम के नुमानिदो ने इसे गलत रूप में जरूर पेश किया। रही बात हिंदुस्तान में मजहब के नाम पैर खून खराबे की तो इसके लिए यह मजहब हमेसा ही बदनाम रहा है। जाहिलो की यह कौम पूरे संसार में अपनी कौम को पनपाना चाहती है। यह जानते हुए भी की हम सब एक ही इश्वर की संतान हैं इसके बावजूद भी यह गैर इस्लामिक लोगो को काफ़िर करार देती है। अगर बात करे औरतो पैर जुल्म की तो इन लोगो ने भी कभी औरत को सम्मान नहीं दिया। जानवरों की तरह औरतो का शोषर किया। उन्हें नकाब पहनने को मजबूर किया। एक औरत के बावजूद इन लोगो ने औरतो को कपड़ों की तरह बदला। एक-एक मुसलमान ने ४-४ से लगाकर ६-६ औरतो को महज ऐयाशी के लिए रखा। रही बात इबादत की तो यह मूर्ती पूजा को हराम करार देते है मगर मुर्दों की कब्रों पैर माथा टेकते है। इन्हें लगता है के मर वः पैगम्बर इनके लिए अल्लाह से दुआ कर देगा। मोहद। साहब का फोटो हराम है मगर अपना फोटो लगाना फर्ज है। इन जाहिलों से निबटने का एक ही तरीका है जब इनका कत्ले-आम शुरू हो। यह लातो के भूत हैं बातो से नहीं मानेगे।
इन लातो के भूतो को बातो से नहीं समझाया जा सकता
आपकी टिप्पड़ी अच्छी थी। पर उसमे एक कमी थी। इंडियन मुजाहिद्दीन का मतलब आपने हिन्दू आतंकवाद से लगाया। जबकि इंडियन मुजाहिद्दीन का जन्म गुजरात कांड के बाद मुस्लिम समुदाय के आतंकवादी चेहरे के रूप में सामने आया। इस आतंकवादी संगठन ने अक्षरधाम मंदिर में बम ब्लास्ट कर अपनी आमद दर्ज कराइ थी। जहा तक बात करे करण की तो उस किताब के लिए कुच्छा भी कहना गलत होगा। क्युकी कोई भी मजहबी किताब आतंकवाद की सीख नहीं देती। हां इस्लाम के नुमानिदो ने इसे गलत रूप में जरूर पेश किया। रही बात हिंदुस्तान में मजहब के नाम पैर खून खराबे की तो इसके लिए यह मजहब हमेसा ही बदनाम रहा है। जाहिलो की यह कौम पूरे संसार में अपनी कौम को पनपाना चाहती है। यह जानते हुए भी की हम सब एक ही इश्वर की संतान हैं इसके बावजूद भी यह गैर इस्लामिक लोगो को काफ़िर करार देती है। अगर बात करे औरतो पैर जुल्म की तो इन लोगो ने भी कभी औरत को सम्मान नहीं दिया। जानवरों की तरह औरतो का शोषर किया। उन्हें नकाब पहनने को मजबूर किया। एक औरत के बावजूद इन लोगो ने औरतो को कपड़ों की तरह बदला। एक-एक मुसलमान ने ४-४ से लगाकर ६-६ औरतो को महज ऐयाशी के लिए रखा। रही बात इबादत की तो यह मूर्ती पूजा को हराम करार देते है मगर मुर्दों की कब्रों पैर माथा टेकते है। इन्हें लगता है के मर वः पैगम्बर इनके लिए अल्लाह से दुआ कर देगा। मोहद। साहब का फोटो हराम है मगर अपना फोटो लगाना फर्ज है। इन जाहिलों से निबटने का एक ही तरीका है जब इनका कत्ले-आम शुरू हो। यह लातो के भूत हैं बातो से नहीं मानेगे।
लोग पता नहिं क्यों भय खाते है एक सम्प्रदाय उसके लोग और उस किताब को आरोपित करने में।
आपने निर्भयता से सच्चाई सामने रख दी।
आभार आपका।
Bahut hi badhiya lekh
Agar hinduwo ne hathiyar utha liya to kya hoga ?
अल्लाह को इन लोगों नें कसाई बना छोडा है...
आदरणीय अजित जी,अभिषेक जी श्रीश जी,सुग्य जी,तारकेश्वर जी,शर्मा जी आप सभी लोगों ने मेरे लेख को पसंद किया इसके लिए मैं आप सभी का ह्रदय से आभारी हूँ|सत्य को कहने का बस एक प्रयास है|श्रीश जी हिंदू आतंकवाद जैसा कुछ होता ही नहीं,यह एक बकवास है जो हमारे गणमान्य नेताओं द्वारा अपनी नेतागिरी चमकाने के लिए प्रयुक्त किया जा रहा है| मैंने हिंदू आतंकवाद शब्द का यहाँ पर scarsm के रूप में प्रयोग किया है|इंडियन का वास्तविक अर्थ भारतीय और भारतीय का हिंदू होने से इंडियन मुजाहिद्दीन, हिंदू मुजाहिद्दीन हुआ और इस प्रकर...वाराणसी में हुआ हमला हिंदू इस्लामिक आतंकवाद......आप सभी लोगों को धन्यवाद.....मेरे सारे लेख यहाँ पढ़े ..............www.atharvavedamanoj.jagranjunction.com
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