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16.12.10

kayron laut aao manavta ki oar

वाराणसी विस्फोट ने पिछले सभी जख्मों को हरा कर दिया .धमाके में दो -एक नन्ही सी बच्ची व् एक महिला की जान चली गयी .धमाके में मारी  गयी बच्ची के माता -पिता के दिल से पूछिए  ''कैसे सह पायेगे यह सदमा ?''कितने कायर और बुजदिल  हैवान है ये जो मासूमों को लगातार अपना शिकार बना रहे है ! ये हैवान जब गिरफ्त में आते है तो जेल में प्रताड़ित किये जाने की शिकायते कर सम्पूर्ण विश्व में मानवाधिकार की गुहार लगाते  है .कैसा मानवाधिकार ? जिस समय अंधी धार्मिकता,अंधे प्रतिशोध से लबालब भरे हुए अंधाधुंध गोलियां बरसाते  हुए ''कसाब '' अपने साथियों के साथ हजारों घरों को उजाड़ रहा था -तब वह क्या मानव था ?नहीं वो एक हैवान था.........फिर अब मानव कैसे हो गया ? गरीबी की दुहाई  मत दे ऐसे कायर .गरीबी अलग बात है और हैवान होना अलग बात .अपनी जिन्दगी की कीमत नहीं समझते तो कही एकांत में बारूद बांधकर  अपने जिस्म के चीथड़े उदा  ले .भीड़ में आकर मानव बम ....नहीं दानव बम बनकर क्यों मासूमो को क़त्ल कर रहे हो ?कूड़ेदान में ,स्कूटर में विस्फोटक छिपाकर रखने वाले कायरों क्या मिल गया एक नन्ही सी जान को उसके माता-पिता से जुदा करके ? जरा सोचो और इस अँधेरी राह पर से वापस लौट आओ --मानव जीवन की ओर ....बिना किसी प्रतिशोध की भावना क़ा जीवन व्यतीत करो और पश्चाताप भी  कर लो  मासूमों की अनगिनत  हत्याओं   क़ा    

4 comments:

Shalini kaushik said...

बिलकुल सही कह रही हैं आप.इस तरह का कार्य करने वाले ये कायर ही कहे जायेंगे.भावपूर्ण अभिव्यक्ति..

अजित गुप्ता का कोना said...

सच हैं ये मानव नहीं दानव ही हैं। इनके लिए मानवाधिकार नहीं होने चाहिए।

Dr Om Prakash Pandey said...

a forceful appeal .

Manoj Kumar Singh 'Mayank' said...

दानवोँ का भी अपना एक दर्शन होता है। कट्टर इस्लामिक आंतकवाद का दर्शन बम, गोला और बारुद है। यह पाशविक दानवता का अतिरेक है। इस पर अंकुश लगाने की बजाय हमारा नेतृत्व, हमारे जीवन पद्धति को ही कटघरे मेँ खड़ा करने का प्रयास कर रहा है। सार्थक लेखन हेतु साधुवाद