भ्रष्टाचार भी शर्मसार है, भ्रष्टाचारियों से
दिनांक – 7-01-2011
हमारे देश में फिल्म या गानों के सार्वजनिक प्रकाशन होने या करने से पहले एक सेंन्सर बोर्ड के समक्ष उसे रखे जाने का प्राविधान है। इस बोर्ड का काम फिल्मों में अनावश्यक दृश्य फूहड़ता और फिल्म के सभी स्तरों का भली भांति जांच करने के बाद उसे प्रकाशित करने का आदेश पारित करती है। लेकिन अभी-अभी बारार में दो गाने रिलीज हुई है। पहले गाने का मुखड़ा मुन्नी बदनाम हुई ........ और दूसरा गाना शीला की जवानी ...... इस तरह के गाने जो कि हमारे भारतीय संस्कृति के ठीक विपरीत तो हैं ही साथ ही साथ हमारे समाज में लाखों लड़कियों, औरतों एवं बच्चियों के नाम होने के कारण इस नाम से पुकारे जाने वाले सभी को हमारे समाज के फूहड़ता और नौवजवानों की छींटा-कशी का सामना करना पड़ रहा है। जिसे देखते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट के लखनऊ पीठ के समक्ष डाँ नूतन ठाकुर द्वरा एक जनहित याचिका दायर किया है, इस याचिका पर न्यायमूर्ति ने केंन्द्र सरकार को नोटिस भेज कर इस मामले में अपना रुख स्पष्ट करने को कहा है, इसमें भी कोई आश्चर्य की बात नहीं है, कि घूस खा कर ऐसे गानों और फिल्मों को कुछ आपत्तिजनक होते हुए भी सेंसर बोर्ड उसे पास कर देता है। जैसा कि मैं अपने ब्लाग में……… मीडिया और पत्रकार । दिनांक – 20 दिसम्बर 2010 , अंन्नत घोटाले । दिनांक21/10/2010 मिला-जुला खेल जमाखोरों का दिनांक – 24 दिसम्बर 2010 बार बार इशारा किया है, कि सम्पूर्ण प्रशासनिक त्रंत और सरकारी विभागों में सफाई करके उसे चुस्त-दुरुस्त करने की जरुरत है। यदि अभी समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाले दिनों मे और भी विकट परिस्थितयों का सामना रकना पड़ेगा इस कार्यवाही में और देर हुई तो कहीं ऐसा न हो सब कुछ हाथ से निकल जाये।
1 comment:
सार्थक प्रस्तुति
आज तो भ्रष्टाचार कहाँ रहा वह तो शिष्टाचार बन गया है!
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