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21.6.21

सरकारी सिस्टम के आगे लाचार है नालंदा की एक बेटी

संजय कुमार-

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से  मांग रही इंसाफ

बिहारशरीफ। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार कि बेटियों को सभी क्षेत्र में भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए जी जान से लगे हुए हैं ।जिसका परिणाम यह निकला है कि बिहार कि बेटियां भी सभी क्षेत्रों में आगे बढ़ रही है। सरकारी सेवा में भी बिहार कि बेटियां  अपने मेहनत के बलबूते मुकाम हासिल कर रही है।


बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सत्ता संभालते ही बिहार की बेटियों को शिक्षा के प्रति रुझान पैदा करने  व नियमित स्कूल जाने के लिए कई प्रकार की योजनाओं को बिहार में लागू किया। जिन  में एक था मुख्यमंत्री बालिका साइकिल योजना। इसका परिणाम यह निकला कि लड़कियां गांव से दूर रहने के बावजूद भी प्रतिदिन स्कूल जाने लगी ।अब लड़कियां उच्च शिक्षा क्षेत्र में भी अच्छा  प्राप्त करने लगी हैं।

परंतु सुबे के मुखिया नीतीश कुमार के गृह प्रखंड मुख्यालय बिहारशरीफ की एक बेटी निकिता सिन्हा ने बिहार लोक सेवा आयोग की64वीं परीक्षा में अपने बुलंद हौसले व मेहनत के बलबूते सफलता पायी तथा जिले का नाम रौशन किया। 

परंतु मगध यूनिवर्सिटी की लापरवाही के कारण बिहार लोक सेवा आयोग की परीक्षा में सफल होने के बावजूद भी उसे चयन नहीं किए जाने का भय सता रहा है ।जिससे नालंदा की बेटी निकिता बहुत ही तनाव में आ गई है ।उसे भय सता रहा है कि सिस्टम की लापरवाही के कारण कहीं उसकी कड़ी मेहनत से पाई गई सफलता के बावजूद भी उसे बीपीएससी में चयन नहीं हो पाएगा।

बताया जाता है कि बिहारशरीफ निकिता  बिहार लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास हुई है। बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा उससे मूल प्रमाण पत्र की प्रतिलिपि जमा करने के लिए निर्धारित समय दिया गया था। परंतु जो 2 दिन पूर्व ही समाप्त हो गया।

बताया जाता है कि निकिता ने सितंबर 2020 में ही मगध यूनिवर्सिटी जाकर कई बार ओरिजिनल सर्टिफिकेट के लिए आवेदन दिया था ।परंतु उसे ओरिजिनल सर्टिफिकेट कि जगह पर टेक्स्टमोनीयल सर्टिफिकेट दिया गया, जिसे वह बिहार लोक सेवा आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया, परंतु बिहार लोक सेवा आयोग ने उस सर्टिफिकेट को मानने से इनकार कर दिया। तब थक हार कर निकिता ने कई दिन मगध यूनिवर्सिटी में डेरा जमा कर ओरिजिनल सर्टिफिकेट के लिए प्रयास किया, तो उसे शुक्रवार को मिला। परंतु ,बिहार लोक सेवा आयोग  में जमा करने का टाइम समाप्त हो गया था।  निकिता ने ई-मेल से बिहार लोक सेवा आयोग को मूल प्रमाण पत्र की छाया प्रति भेजा है तथा रजिस्टङँ  डाक से भी मूल प्रमाण पत्र की छाया प्रति  आयोग को भेजा है ।जब से वह इंतजार कर रही है कि आयोग द्वारा उसे सूचना मिलेगी परंतु ,आज तक उसे कोई जवाब नहीं मिला है।

निकिता ने रोते हुए इस संवाददाता से कहा कि क्या सिस्टम का दोष नालंदा की बेटियों को क्यों उठाना पड़ रहा है ।उसने बताया कि 2 दिन यूनिवर्सिटी में रहकर रो-रो कर, हाथ पैर जोड़कर किसी प्रकार मूल प्रमाण पत्र मिला। अब उसे डर सता रहा है  कि कहीं मुझे सिस्टम की लापरवाही का खामियाजा नहीं  भुगतना पड़ जाय। वह बहुत ज्यादा ही डिप्रेशन में आ गई है ।इस संवाददाता से रोते-रोते उसने यही कहा की बताइए सर सिस्टम की गलती का सजा हमें क्यों मिल रहा है। हमारी जैसी कई बेटियां इस सिस्टम के नकारे पन का शिकार हो रही होगी।

उसने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तथा बिहार लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष से मांग किया है कि  उसे न्याय मिले, सिस्टम की गलती का खामियाजा मुझे भुगतना ना पड़े ।उसने रोते हुए कहा कि मुझे  न्याय नहीं मिलेगा तो मेरा  क्या ?हमारे जैसे कई अन्य बेटियों का हौसला टूट जाएगा ।जिसे निकट भविष्य में पूरा नहीं किया जा सकता है।
    
बिहार शरीफ नालंदा से संजय कुमार की रिपोर्ट



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