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21.6.21

आईएएस अफसर के आरोप स्थानांतरण की हताशा या ईमानदारी की पीड़ा!

सरकार पर किसी विपक्ष के नेता द्वारा लगाए बेईमानी के आरोपो को तो राजनीतिक दोषारोपण मानकर खारिज किया जा सकता है। किन्तु जब यह आरोप युवा आईएएस अफसर की ओर से लगे तो गम्भीर विषय बन जाते है इसे आसानी से खारिज नही किया जा सकता है। बेशक ईमानदारी सदैव पुरस्कार की पात्र होना चाहिए। जिस राज्य में ईमानदारी सजा ओर तिरस्कार की पात्र हो जाए वहाँ सबकुछ ठीक चलता नहीं माना जा सकता है।मध्यप्रदेश केडर के आईएएस अधिकारी लोकेश जांगिड़ के आरोप कुछ इसी तरह की कहानी बयान कर रहें है।


उन्होंने आईएएस एशोसिएशन के वाट्सएप ग्रुप पर बड़वानी से भोपाल स्थानांतरण का कारण कोरोना माहमारी के दौरान खरीदी में हुए भ्रष्टाचार को बताते हुए लिखा बड़वानी कलेक्टर को पैसा कमाना था,मैं उसमे बाधा बन रहा था। बड़वानी कलेक्टर ने सीएम के कान भर दिए। उन्होंने आगे लिखा बड़वानी कलेक्टर शिवराज वर्मा और प्रदेश के मुख्यमंत्री दोनों किरार समाज के है। मुख्यमंत्री की पत्नी किरार महासभा की अध्यक्ष है तो बड़वानी कलेक्टर की पत्नी सचिव है। आईएएस एशोसिएशन के ग्रुप पर लिखी उनकी पोस्ट वायरल हो गयी। जो मीडिया की सुर्खियां बन गयी। प्रदेश से चलकर अब यह पोस्ट राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का मुख्य विषय बन गयी है। अब सवाल यह उठता है कि क्या लोकेश जांगिड़ के लगाए आरोप स्थानांतरण की हताशा मात्र है? या एक ईमानदार अधिकारी की आंतरिक पीड़ा है।

अपने 4 वर्षीय सेवाकाल में उनके 8 स्थानांतरण हो चुके है। बडवानी जिले में मात्र 40 दिन अपर कलेक्टर रहने के बाद उनका स्थानांतरण भोपाल कर दिया गया। एक युवा अफसर जिसने बड़वानी जिले में कोरोनाकाल में बेहतर कार्यो को अंजाम दिया हो,उनके कार्यो से आमजनता खुश थी ओर कोरोना के नियंत्रण में भी सफलता मिल रही थी। उनका 40 दिनों में ही स्थानांतरण हो जाना निश्चित ही सोचनीय विषय है। इसलिए इसे स्थानांतरण का दर्द कम एक ईमानदार अफसर के मन की पीड़ा अधिक माना जाना चाहिए तो क्या मध्यप्रदेश का सिस्टम ईमानदार अफसरों को बर्दाश्त नहीं करता है ? यदि  सच मे ऐसा है तो यह मध्यप्रदेश के लिए सोचनीय विषय है। लोकेश जांगिड़ की कहानी यहीं नही रुकी उन्होंने भारत सरकार को आवेदन देकर प्रतिनियुक्ति पर महाराष्ट्र भेजे जाने संबधी आवेदन भी दिया है। उन्हें धमकियां भी मिल रही है।

उन्होंने अपनी सुरक्षा के लिए राज्य के गृहमंत्री को पत्र लिखा है। इस पूरे मामले का मूल यह है कि क्या कोरोना महामारी के दौरान बड़वानी जिले में उपकरणों की खरीदी में भ्रष्टाचार हुआ है ? क्या इसके तार भोपाल तक जुड़े है ? आखिर कौन है जो जांगिड़ को धमका रहा है अपनी धमकी में 6 माह तक छुट्टियों पर जाने को कह रहा है। क्या हमारा सिस्टम इतना भ्रष्ट हो गया है जो माहमारी में भी बेईमानी के कृत्य को अंजाम दे रहा है जो इसे रोकने की कोशिश कर रहा है,उसे स्थानांतरण ओर धमकियों का सामना करना पड़ रहा है। लोकेश जागिंड की ईमानदारी को पुरुस्कृत करने की बजाय यह तिरस्कार का कौनसा भाव है जो मध्यप्रदेश में पनप रहा है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की कार्यप्रणाली तो बेईमानो के खिलाफ सख्त रुख अपनाये जाने की बन रही थी।

कोरोना के पूर्व सुशासन अभियान में माफियाओं के विरुद्ध सख्ती दिखाने से मुख्यमंत्री की निखरी छवि कोरोनाकाल के सरकारी माफियाओं के खिलाफ सख्त रुख अपनाकर ओर उजली हो सकती है। कोरोनाकाल में इंजेक्शनों,दवाइयों,आक्सीजन सिलेंडरों की कालाबाजारी में अनेको अपनो की जान गई है। यदि सरकारी स्तर अनियमितता को अंजाम दिया गया है तो यह माफी योग्य नहीं है। युवा आईएएस अधिकारी को कारण बताओ सूचना-पत्र देने की बजाए राजधर्म तो यह कहता है की कोरोनाकाल मे सरकारी स्तर पर सामग्रियों के क्रय किये जाने की जांच बड़वानी की नहीं सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में होना चाहिए। जागिंड को आरोप-प्रत्यारोप में उलझाकर सरकार बेईमानी पर पर्दा जरूर डाल सकती है। किन्तु प्रदेश की जनता यह सब देख समझ रहीं है। वह अपनी धारणाओं का निर्माण कर रहीं है। एक मुख्यमंत्री के तौर पर शिवराज सिंह चौहान के कार्यो ओर निर्णयों का आकलन कर रही है। किसी भी राज्य या राष्ट्र के नागरिकों के विकास में ईमानदारी का बड़ा महत्व है।

अरस्तू के अनुसार, “राज्य ही व्यक्ति को व्यक्ति बनाता है।” इस कथन का भाव यह है कि राज्य अपनी मूल प्रकृति में ही नैतिक संस्था है और कोई भी नैतिक संस्था बेईमानी के आधार पर नहीं चल सकती। अरस्तू के अनुसार, राज्य अस्तित्त्व में इसलिये आया था कि मनुष्य का जीवन सुरक्षित रहे किंतु यह निरंतर इसलिये चला क्योंकि यह मनुष्यों के जीवन को बेहतर बनाता है। जागिंड के आरोप स्थानांतरण की हताशा में लगाए साबित होते यदि सरकार उनके आरोपो की जांच के आदेश देती ओर यह आरोप निराधार पाए जाते। पर यह क्या आरोप लगाने वाले को ही कटघरे में खड़ा किया जाने लगा। अभी भी समय है। सरकार कोरोनाकाल में हुई खरीदी की ईमानदारी से जांच के आदेश प्रदान करे। अन्यथा जागिंड के आरोप ईमानदार अफसर के मन की पीड़ा ही समझे जाएंगें। सच आखिर सच होता है। सच को झुटलाने के परिणाम घातक होते है।
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नरेंद्र तिवारी 'पत्रकार'
7,शंकरगली मोतीबाग
सेंधवा जिला बड़वानी मप्र
मोबा-9425089251

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