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15.3.10

अपने ही सेनापति को घेरने में जुटे जनरल!

देहरादून । जल विद्युत परियोजनाओं में कथित तौर पर धांधली और स्टर्डिया डेवलपर्स को कौडियों के भाव जमीन देने संबंधी प्रकरण से उत्तराखंड की राजनीति में उबाल आ गया है। जहां एक ओर मुख्यमंत्री निशंक व उनकी सरकार में शामिल मंत्री मामले को लेकर सदन में चर्चा कराने को तैयार है वहीं विपक्ष न जाने किन कारणों के चलते इस पर चर्चा कराने से परहेज कर रहा है। वहीं विपक्षी दल कांगzेस की बात करें तो उन्हें तो सत्ताधारी दल के निर्णयों का विरोध, विरोध के लिए करना मजबूरी बन गया है। लेकिन यहां तो भाजपा के जनरल ही अपने सेनापति को घेरने की जुगत में लगे दिखाई दे रहे हैं।
जल विद्युत परियोजनाओं में कथित तौर पर धांधली और स्टर्डिया डेवलपर्स को कौडियों के भाव जमीन आवंटित करने के सरकार के फैसले का कांगzेस द्वारा सदन और सड़क पर भारी विरोध किया जा रहा है। जबकि विधानसभा में विपक्ष में ही बैठी बसपा इस मामले में सरकार के साथ खडी दिखाई दे रही है। बजट सत्र शुरू होने से पहले सरकार को जरा भी अंदेशा नहीं था कि विपक्ष इस मामले पर सदन की कार्यवाही इस हद तक बाधित कर देगा। चर्चा है कि सरकार में शामिल जनरल गुट ने ही इन मामलों को खाद-पानी देने का काम किया है। इन्ही लोगों ने विपक्ष को यह मुद~दा सौंपा है। कयास लगाये जा रहे हैं कि जनरल और निशंक की सरकार में दायित्व के घोड़ों पर सवार कई नेता इस मामले को और तेजी से उछालने में लगे हुए हैं। यहां तक कि निशंक कैबिनेट में एक महिला राज्यमंत्री का नाम भी इस मामले में चर्चाओं में है कि वे अपनी सरकार के खिलाफ ही तानाबाना बुन रहे हैं। चर्चा है कि जनरल से जुडे कुछ लोग नेता प्रतिपक्ष के घर और कार्यालय के आस-पास इन दिनोें दस्तावेज पाने की जुगत में चक्कर काट रहे हैं। यही गुट अखबारों में मुख्यमंत्री पर लगने वाले आरोपों की कतरने भी जुटाने में लगा हुआ है। पार्टी गुटबाजी के साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री और मौजूदा मुख्यमंत्री के साथ सचिवालय में काम कर चुके एक अधिकारी पर भी संदेह व्यक्त किया जा रहा है। जनरल के बेहद करीबी रहे यह अधिकारी अब दिल्ली के लिए रिलीव हो चुके हैं। चर्चा है कि जाने से पहले उन्होंने जनरल के प्रति अपनी निष्ठा कायम रखते हुए तमाम दस्तावेजों की प्रतियां जनरल सहित विपक्षी दल को मुहया करायी है। इतना ही नहीं सूत्रों की माने तो वर्तमान में प्रशासनिक अधिकारियों में गुटबाजी का खामियाजा भी मुख्यमंत्री को भुगतना पड़ रहा है।