माना शिवाजी,महाराणा,भगत सिंह ये पुराने जमाने की बात है,
पर देख ज़रा उन के आगे तेरी क्या औकात है!
जरुरी नहीं के
सारे के सारे
"रंग दे बसंती"
वाला सीन पैदा करें!
ये भी जरुरी नहीं
के सारे के सारे
"अ वेडनसडे" जैसा
भी कुछ करें!
जरुरी तो कुछ भी नहीं,
जो हम करते है!
डरे-सहमे से जिए
ये भी जरुरी नहीं!
नहीं जरुरी
मरना ऐसे
जैसे
गुमनाम से हम मरते है!
चलो मै तो भावुक हो गया आज,
तुम तो संभालो
अपने आप को ही सही,
आज तुम खुद को संभालोगे तो
कल देश भी संभल जाएगा,
तब लगेगा के शायद
अब किसी भी शहीद का बलिदान
व्यर्थ नहीं जाएगा!
जरुरी नहीं के सारे के सारे
इसे पढ़ कर भूल जाए,
जरुरी नहीं के सारे के सारे
कुछ "रंग दे बसंती"
या
"अ वेडनसडे"
जैसा कुछ कर पायें!
क्योंकि हम मजबूर जो है!
जिम्मेवार है,
भले ही जिम्मेवारी समझे ना समझे!
जरुरी नहीं के सारे के सारे
शर्मा जाएँ खुद से ही
जब वो तुलना करेंगे खुदकी उनसे
जिन्होंने अपना बलिदान दिया
ये सोच कर के
"एक भगत के मरने से हर भारतवासी भगत बन जाएगा!"
जरुरी तो कुछ भी नहीं.....
हर शहीद को कोटि-कोटि नमन .....
कुंवर जी,
25.3.10
जरुरी तो कुछ भी नहीं.....
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