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19.3.10

आतंक से समझौता-ब्रज की दुनिया

लश्कर तोईबा और मुंबई हमलों से जुड़े अमेरिकी नागरिक हेडली के साथ अमेरिका ने समझौता कर लिया है.हेडली अपना जुर्म कबूल करते हुए सरकारी गवाह बन गया है.हेडली मूल रूप से पाकिस्तानी मुसलमान है.उसकी स्वीकारोक्ति से एक तरफ जहाँ भारत के इस आरोप को दम मिला है कि मुंबई हमलों की साजिश पाकिस्तान से रची गई थी वहीँ दूसरी ओर इस बात से भारतीय कूटनीति को झटका भी लगा है कि अमेरिका ने हेडली से समझौता कर लिया है और अब उसे भारत के हाथों नहीं सौंपा जायेगा.भारत सिर्फ उससे पूछताछ कर सकता है.इसे भारत की कूटनीतिक हार माना जाना चाहिए.भारतीय कूटनीतिक तैयारियों में कहीं-न-कहीं कोई-न-कोई कमी रह गई जिससे यह दिन देखना पड़ा है.भारत ने लगता है कि अपनी कूटनीति को अमेरिका के हाथों रेहन रख दिया है.अब सौंप दिया अपनी कूटनीति का हर बात तुम्हारे हाथों में, है जीत तुम्हारे हाथों में और हार तुम्हारे हाथों में.कुछ साल पहले तक ब्रिटेन के प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर पर अमेरिकी हितों में काम करने का और ब्रिटिश हितों की अनदेखी करने का आरोप लगा था.मनमोहन सिंह ने भी कुर्सी सँभालते ही अमेरिका के हित में भारतीय हितों की बलि देना शुरू कर दिया था.इसका सबसे बड़ा सबूत है ईरान के खिलाफ बार-बार मतदान करना.अमेरिका भला क्यों भारत के हितों को देखेगा?वह एक संप्रभु देश है और उसके अपने अंतर्राष्ट्रीय हित-अनहित हैं.यह समझौता तो महज एक शुरुआत है अफगानिस्तान में भी हमारे हितों को झटका लग सकता है क्योंकि अमेरिका तालिबानी आतंकवादियों से समझौता करने को व्याकुल हो रहा है.

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