पूर सुकून ये सारा संसार होना चाहिए,
आदमी को आदमियत से प्यार होना चाहिए
दुधारी तलवार पर चलना है माना इश्क पर,
इश्क है तो इश्क का इजहार होना चाहिए
ओकत कुछ भी नही पाक ओ चीन की,
चौधराहट अमरीकन को भी इनकार होना चाहिए
दहशत से दहशतगर्दों का वास्ता पढ़ा नही,
रूबरू ऐ दहशत इन्हें सरे बाजार होना चाहिए
किट्टी पार्टी, पब, डिस्को हमको जाना है जरूर,
बेशक घर माँ बाप को बीमार होना चाहिए
फिर कुर्बानियाँ इस देश पे देने की रुत आ गई,
बाद मेरे मरने के चमन लालाजार होना चाहिए
बात से माने है कब लातों के जो भूत हैं,
चार सू इन पर जूतम पैजार होना चाहिए
बत्तीस रूपये के अमीर का पेट भरे ना भरे ,
लाख रुपया सांसद की पगार होना चाहिए
मुल्क बिकता है बिके इसका गम इनको कहाँ,
इस सौदे में इनका हिस्सा यार होना चाहिए
ता जिन्दगी चखना हमे सत्ता सुख है अगर,
हर नोजवान मुल्क का बेकार होना चाहिए
मतला, मकता, बहर की रवायतों को लांघ कर,
शब्द शब्द धधकता अंगार होना चाहिए
आदमी को आदमियत से प्यार होना चाहिए
दुधारी तलवार पर चलना है माना इश्क पर,
इश्क है तो इश्क का इजहार होना चाहिए
ओकत कुछ भी नही पाक ओ चीन की,
चौधराहट अमरीकन को भी इनकार होना चाहिए
दहशत से दहशतगर्दों का वास्ता पढ़ा नही,
रूबरू ऐ दहशत इन्हें सरे बाजार होना चाहिए
किट्टी पार्टी, पब, डिस्को हमको जाना है जरूर,
बेशक घर माँ बाप को बीमार होना चाहिए
फिर कुर्बानियाँ इस देश पे देने की रुत आ गई,
बाद मेरे मरने के चमन लालाजार होना चाहिए
बात से माने है कब लातों के जो भूत हैं,
चार सू इन पर जूतम पैजार होना चाहिए
बत्तीस रूपये के अमीर का पेट भरे ना भरे ,
लाख रुपया सांसद की पगार होना चाहिए
मुल्क बिकता है बिके इसका गम इनको कहाँ,
इस सौदे में इनका हिस्सा यार होना चाहिए
ता जिन्दगी चखना हमे सत्ता सुख है अगर,
हर नोजवान मुल्क का बेकार होना चाहिए
मतला, मकता, बहर की रवायतों को लांघ कर,
शब्द शब्द धधकता अंगार होना चाहिए
3 comments:
बहुत सुन्दर प्तथा सार्थक रचना , आभार
पूर सुकून ये सारा संसार होना चाहिए,
आदमी को आदमियत से प्यार होना चाहिए
bhut acha.
Vande Matram Shuklaa Ji, Nisha Ji
aapkaa hardik aabhaar
Post a Comment