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4.1.13

निर्लज्जता पर चर्चा ना करे ................


निर्लज्जता पर चर्चा ना करे ................

एक व्यक्ति डॉक्टर के पास गया ,डॉक्टर ने उसकी शारीरिक तकलीफ के बारे में पूछा।
रोगी ने सब बात डॉक्टर को बतायी और शीघ्र निरोगी होने का उपाय जानना चाहा।

डॉक्टर ने कहा -आपको अमुक दवाइयाँ समय-समय पर लेनी होगी और खाने -पीने
में परहेज रखना होगा यदि तुम ऐसा करोगे तो शीघ्र ठीक हो जाओगे।

 रोगी बोला -डॉक्टर सा'ब, मैं आपके पास घर से चल कर आया,आपके साथ बैठकर
रोग की सांगोपांग चर्चा की ,हर तथ्य को समझा ,जाना, क्या इतने से बात नहीं बनेगी ?

डॉक्टर बोला - सिर्फ बिमारी को समझ लेने और जान लेने से स्वस्थ होना असंभव है,
स्वास्थ्य को दुरस्त करना है तो दवा भी लेनी होगी और परहेज भी करना होगा।

रोगी बोला -डॉक्टर सा'ब, आपका परामर्श मेरे गले नहीं उतर रहा है,ये तो हजारो सालो
पुरानी पद्धति है रोगों को शमन करने की ,आज हम  इक्कीसवीं सदी में जी रहे हैं।आज
हमने बहुत प्रगति कर ली है अब बिमारी को ठीक करने के जीर्ण-शीर्ण विचार नहीं चाहिए।
मुझे सिर्फ लच्छेदार बातों से ठीक कर दीजिये।

डॉक्टर बोला-मेरे पास अभी तक ऐसी तकनीक नहीं आई है इसलिए मैं आपकी कोई
सहायता नहीं कर सकता हूँ।आप सिर्फ यमराज से अरदास कीजिये ....!!

   आज यही हाल हमारा है।हम समस्याओं का सिर्फ बातों से समाधान चाहते हैं या फिर
हम परहेज को भूलकर सिर्फ दवा पर स्वस्थ होना चाहते हैं।हो सकता है दवा के बल पर
हम एक -दो बार ठीक हो जाए लेकिन परहेज से बचेंगे तो फिर रोगी हो ही जायेंगे इसमें
शंका की बात नहीं है।

हम समस्या के निवारण की प्रखर लालसा रखते हैं,उससे निजात पाने के लिए हम उस
व्यक्ति तक पहुँचने का प्रयास भी करते हैं और समस्या के निवारण के लिए दवा भी ले
लेते हैं मगर हम परहेज का प्रयास नहीं करते ,नतीजा यह होता है कि समस्या कम ज्यादा
बनी ही रहती है,उसका शमन नहीं होता।

  बियर बार डांसर के अश्लील डांस, डांस-क्लब में फूहड़ता का भोंडा प्रदर्शन,कला के नाम
 पर सिनेमा में परोसी जा रही कामुकता,गीत के नाम पर कामुक स्वर लहरियां,हास्य के
नाम पर द्वि अर्थी संवाद ,नारी देह का सार्वजनिक स्थलों पर फूहड़ प्रदर्शन,खेलो में चीयर
गर्ल, इन सबको छोड़े बिना हमे समस्यां से निजात चाहिए ,कैसे होगा ...?               

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