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21.1.13

दादी को पुलिस वालों ने मार डाला  -
जयपुर में ख़त्म हुआ कांग्रेस का चिंतन शिविर ज्ञात नहीं कांग्रेस की चिंता मिटाएगा या नहीं लेकिन इसने हमारी तो चिंता बढ़ा ही दी है। पिछले कई प्रकरणों से हमारी एक चिंता रही है कि देश के प्रधान मंत्री क्यों नहीं देश की सामने दिख रही समस्याओं पर बोलते हैं ? अन्ना प्रकरण हो या कोई अन्य प्रकरण , वे जब बोलते हैं तब तक बहुत सारे सवाल खड़े हो चुके होते हैं और लोहा ठंडा हो जाता है । अब आप जितना भी बोलें , लेकिन सवाल खड़े ही रह जाते हैं। इधर जब हम सोचते हैं कि हमारा अगला प्रधान मंत्री कैसा होगा तो ज्यादा विचार यह आने लगता है कि जो भी होगा लेकिन एक बात तय है कि वह यदि कांग्रेस का युवराज हुआ तो कुछ न कुछ गुल तो जरूर खिलेंगे । हमारे इस तथाकथित भावी प्रधान मंत्री ने अपने भाषण में कहा कि उसकी दादी को पुलिस वालों ने मार डाला । बेचारे पुलिस वाले सोच रहे होंगे कि ये क्या हुआ । हम जीवन भर सुरक्षा करते रह जाते हैं और यहाँ पर हम पर ही आरोप । अब इस तथाकथित प्रधानमन्त्री का भाषण पता नहीं किसने लिखा होगा ? यदि युवराज ने खुद ही अपनी तरफ से कह दिया तो कोई बात नहीं , क्योंकि उनसे हम ऐसी उम्मीद भी नहीं करते कि वे अंगरक्षक और पुलिस में फर्क कर सकें । हालाँकि अंगरक्षक भी पुलिस वाले ही थे लेकिन इस पद के दावेदार व्यक्ति से ऐसी अपेक्षा यदि हम कर रहे हैं तो गलत क्या है ? और यदि नहीं करें टी यह हमारी चिंता का सबब बना जाएगा । खैर , जो व्यक्ति वर्षों पूर्व यह कह गया कि यदि हमारा परिवार उस समय सत्ता में होता तो बाबरी मस्जिद कभी नहीं टूटती । उससे और ज्यादा क्या उम्मीद की जा सकती है ।
उस व्यक्ति का कहना कि कांग्रेस में हिंदुस्तान का डी एन ए है , एक तरह से पिछली सारी कांग्रेसी कारगुजारियों को कारपेट के नीचे छुपाने से ज्यादा कुछ नहीं है। गाँधी जी ने कहा था - अब कांग्रेस को ख़त्म कर देना चाहिए । उन्हें पता था कि कांग्रेस इन सभी चीजों से बहुत कुछ फायदे उठाएगी । जैसा वह कहती है कि देश को कांग्रेस ने आज़ाद करवाया । क्या कांग्रेस से अलग हो चुके लोगों का या इनके पूर्वजों जो कि कांग्रेसेतर पार्टियों में थे कोई योगदान नहीं था या उसे नहीं गिना जाना चाहिए । खैर ,
राहुल कहते हैं कि कल रात मान मेरे पास आई और रोई । माँ रोती  है । ख़ुशी से भी । माँ को लगा होगा , उसका बच्चा अब बड़ा हो गया है , कुछ करेगा । ख़ुशी है । लेकिन यह बात हजारों लोगों  को और मीडिया के सामने कहने की जरूरत ? अरे भैया , स्याही क्यों गिरा रहे हैं । यह बात घर तक रखते तो अच्छा होता । माँ के आंसुओं से वोट मांगने की कोशिश ? कभी सलमान खुर्शीद ने उत्तर प्रदेश के पिछले चुनावों में कहा था की कल रात सोनिया जी रोई थीं . हम सोनिया माता जी के लिए जान की बाजी लगा देंगे । वाह भाई वाह , आप पांच साल लोगों को रुलाओ और फिर एक रात रो दो , वोट आपके झोली में आ जायेंगे ? क्या बात है ? आंसुओं से वोटों की राजनीति ? अच्छा , दामिनी की माँ भी रोई थी । आप तो छुपे रहे । बाहर निकले ही नहीं । हज़ारों लोग इंडिया गेट पर रो रहे थे आप तो निकले ही नहीं , काहे भैया , बाहर आ जाते । किसी के आंसू पोंछ देते । राहुल जी ! जब कभी मेरी माँ रोती है तो  बाहर लोगों को नहीं  बताते । घर की इस तरह की प्राइवेट बातें घर में ही राखी जाती हैं । कुछ सीखिए महाराज । अभी भी वक्त है । हमें मालूम है । आप प्रधान मंत्री नहीं बनेंगे । सिर्फ आपके नाम से वोट मांगे जायेंगे और फिर से एक नए मन मोहन । और सोनिया जी की गद्दी आपके पास । और आप त्यागी । महान । ये अच्छा भी है । जिम्मेदारी एक नहीं । राजशाही पूरी । क्यों । आपके आसपास रहने वाले चापलूसों की फौज आपको भी सोनिया जी तरह महान बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगी ।

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