अहसास होना चाहिये .....................
गणतंत्र के बदलाव का अहसास होना चाहिये
कागज की इन कश्तियों को अब बदलना चाहिये
देखना है, देखेंगे, कब तक फुसलाते जाओगे ?
पक चुके हैं कान सब के अब काम होना चाहिये
कुटनीति संवाद के मोहरे हार खा कर पीट गये
हर ईंट का जबाब अब चट्टान होना चाहिये
निंदा या आलोचना का पापी पर है असर कहाँ ?
लातों के भूतों पर अब लातें बरसानी चाहिये
क्षमा किया उपद्रव झेले आखिर हमने पाया क्या?
जैसे को तैसे की भाषा अब सिखलानी चाहिये
गणतंत्र के बदलाव का अहसास होना चाहिये
कागज की इन कश्तियों को अब बदलना चाहिये
देखना है, देखेंगे, कब तक फुसलाते जाओगे ?
पक चुके हैं कान सब के अब काम होना चाहिये
कुटनीति संवाद के मोहरे हार खा कर पीट गये
हर ईंट का जबाब अब चट्टान होना चाहिये
निंदा या आलोचना का पापी पर है असर कहाँ ?
लातों के भूतों पर अब लातें बरसानी चाहिये
क्षमा किया उपद्रव झेले आखिर हमने पाया क्या?
जैसे को तैसे की भाषा अब सिखलानी चाहिये
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