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13.1.13

बेबस मुख्यमंत्री बेबस सरकार..!


दिल्ली गैंगरेप के बाद से ही महिलाओं की सुरक्षा को लेकर बहस छिड़ी है। संकुचित दिमाग के कुछ लोग महिलाओं के काम करने को ही गलत ठहरा रहे हैं तो कुछ कह रहे हैं कि महिलाओं को नाईट शिफ्ट में काम नहीं करना चाहिए..! इसमें एक और नाम शामिल हो गया है...उत्तराखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा का..! बहुगुणा साहब कहते हैं कि महिलाएं शाम 6 बजे बाद घर से न निकलें। बहुगुणा साहब के इतिहास पर नजर डालें तो ये पता चलता है कि नेता होने से पहले विजय बहुगुणा जज हुआ करते थे। जो व्यक्ति जज रह चुका होवो महिलाओं को लेकर अगर इस तरह की बयानबाजी करता होऐसी सोच रखता हो कि महिलाओं को डर कर घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए तो निश्चित ही ऐसी व्यक्ति की सोच और काबिलियत पर शक होता है। वैसे भी बहुगुणा साहब उत्तराखंड के मुख्यमंत्री है और सिर्फ महिलाओं की नहीं पूरे प्रदेश के हर एक शख्स की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी उनके कंधे पर है, लेकिन वे महिलाओं को सुरक्षा मुहैया उपलब्ध कराने की बजाएउत्तराखंड में भयमुक्त वातावरण बनाने की बजाए महिलाओं को ही घर से बाहर न निकलने की नसीहत देते दिखाई दे रहे हैं। बहुगुणा साहब का ये बयान न सिर्फ उनकी संकुचित सोच को बयां करता है बल्कि ये भी साबित करता है कि उत्तराखंड की बहुगुणा सरकार प्रदेशवासियों को खासकर महिलाओं को सुरक्षा मुहैया कराने में नाकाम साबित हो रही है। शायद यही वजह है कि एक प्रदेश के मुख्यमंत्री को ऐसे बोल बोलने पड़ रहे हैं। वो भी एक ऐसे प्रदेश में जिसे देव भूमि माना जाता है और अन्य प्रदेशों की तुलना में उत्तराखंड में अपराध का ग्राफ भी बहुत ऊंचा नहीं है। यहां भी अगर सरकार महिलाओं को सुरक्षा मुहैया कराने में नामाक साबित हो रही है, प्रदेश में भय मुक्त वातावरण बनाने में नाकाम साबित हो रही है तो धिक्कार है ऐसी सरकार पर। बात यहीं तक रहती तो ठीक थी...प्रदेश की एक महिला मंत्री अमृता रावत तो अपने मुख्यमंत्री से दो कदम आगे ही निकल गई। ये कहती हैं कि महिलाओं को नाईट शिफ्ट में काम नहीं करना चाहिए और महिलाएं घर के कामकाज में ध्यान दें। आपको जानकर हैरानी होगी कि ये उत्तराखंड की महिला सशक्तीकरण मंत्री हैं जिनके कंधे पर महिलाओं को सशक्त करने की जिम्मेदारी भी है। अब आप समझ सकते हैं कि ये महिला मंत्री अपनी जिम्मेदारी कितनी संजीदगी से निभा रही होंगी जब ये महिला होकर महिलाओं के प्रति ऐसी सोच रखती हैं। प्रदेश में अपराधियों पर लगाम कसने में बहुगुणा सरकार नाकाम है, एक भय मुक्त वातावरण बनाने में सरकार नाकाम है और सजा भुगतें यहां की महिलाएं...घर में कैद होकर, घर से बाहर न निकल कर, अपनी आजादी को दबाकर, अपने सपनों को छिपाकर, अपनी उम्मीदों का गला घोंटकर। वाह मुख्यमंत्री साहब वाह...महिलाओं को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहन नहीं दे सकते न सही, सुरक्षा नहीं दे सकते तो न सही...कम से कम उनकी आजादी पर तो ग्रहण मत लगाइए। अपराधियों पर तो अपका बस चलता नहीं तो महिलाओं को ही नसीहत देकर अपनी जिम्मेदारी से बचने की कोशिश कर ली। अरे साहब आप तो जज रहे हो वर्तमान में प्रदेश के मुखिया हो आपसे तो कम से कम ये उम्मीद नहीं थी...ये सब बोलने से पहले अपने पद और गरिमा का ही ख्याल रख लेते। उम्मीद करते हैं आप भविष्य में अपनी कुर्सी के साथ ही प्रदेश की महिलाओं का मान रखेंगे और अगली बार कुछ बोलकर नहीं कुछ ऐसा करके दिखाएंगे जिससे लोग आपकी थू-थू करने की बजाए आपकी तारीफ करें।

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