क्या कोई भी सफलता किसी एक शख्स की सफलता हो सकती है। नहीं, कतई नहीं, हर मायने में यह केवल और केवल टीम वर्क की ही सफलता होती है। बात चाहे सेना के मोर्चा जीतने की हो या किसी उद्योग के मुनाफे में चलने की, सेना की जीत में सैनिकों की डेडिकेटेड टीम होती है जो लीडर के लिए जीत लाती है और उद्योग में समर्पित प्रबंधकों मजदूरों के रूप में वर्कर्स की फौज दिन रात काम कर येन केन प्रकारेण उद्योग को सफल बनाती है। कुछ ऐसा ही होता खबरों की दुनिया में भी। कोई भी हिट स्टोरी किसी एक पत्रकार की नहीं हो सकती है। उस समाचार का महत्व आंक कर उसे उसके महत्व के साथ प्रकाशित करने की जोखिम उठाने वाला समाचार संपादक, समाचार को संपादित कर उसमें से अवांछित को हटा कर और केवल महत्व की क्रिस्पी स्टोरी लिखने वाला डेस्क संपादक उस स्टोरी के लिए उतना ही जिम्मेदार होता है। इस सबके साथ स्टोरी की लाइन को सही मायनों में बयान करने वाले फोटो के साथ फोटोग्राफर या फिर उसके लिए ग्राफिक डिजाइन करने वाले ग्राफिक डिजाइनर भी स्टोरी के लिए उतने ही महत्वपूर्ण होते हैं।
प्रिण्ट पत्रकारिता के लिए इस वर्ष घोषित केसीके अवार्ड टीम पत्रकारिता के इसी भाव को पुष्ट करता है। इसकी यही खूबी इसे पत्रकारिता के अन्य पुरस्कारों से अलग स्थापित करेगी। ग्यारह हजार अमरीकी डॉलर के इस पुरस्कार में टीम प्रविष्टीयां मांगी गई हैं। टीम में पत्रकारिता की कम से कम तीन विधाओं के लोगों को शामिल होना आवश्यक माना गया है। जिनमें रिपोर्टर, डेस्क संपादक, फोटोग्राफर, कार्टूनिस्ट, ग्राफिक डिजाइनर हो सकता है। इस पुरस्कार के लिए प्रविष्टी की अन्तिम तिथि इकत्तीस जनवरी आठ है।
सभी पत्रकार साथियों से आग्रह है कि वे इस पुरस्कार के लिए अपनी प्रविष्टियां भिजवायें। अधिक जानकारी के लिए राजस्थान पत्रिका की वेबसाइट पर विजिट कर सकते हैं।
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