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10.3.08

राम से मालामाल



महात्मा गान्धी ने १९५०में कहा था राजनीति भ्रष्ट लोगो अपनी और आकर्षित करती है राजनीति का आधार क्या होता है ? क्या राजनीति उन लोगो की देन है जो कई वर्षो तक हताश रहे या फ़िर वो उस गन्दी व्यवस्था का प्रतीक है जो कई वर्षो तक हमारे अन्दर नेताओं के रूप मैं हमारे साथ मोजूद रही जो बताती है की राम और उससे सम्बन्ध रखने वाला मुद्दा उनके चेनल को मालामाल कर सकता है हुआ भी वही राम का नाम केश केसे होता है यह सब हमने बीते वक्त में देखा चाहे वह किसी भी रूप में \कुछ दिन पहले दिल्ली विश्व विद्यालय में एक बार फिर हाथा -पाई हुई ......ख़बर यही आ रही थी की राम का नाम है जिस के साथ अन्याय हुआ है वही आदमी जो राजनीति के कारण अपनी परिभाषा बदल रहा है abvp ने तकरीबन एक हफ्ते चले अनशन ने राम को वो बैंक बना दिया जो मीडिया को trp देता है /पार्टियों को वोट देता है सरकार को एक और आयोग को चलाने का मोका देता है ...तभी तो राम वो बैंक बन गए जो सिर्फ़ पैसा देना जानती है ..हां एक बात और ये राम की जो बैंक है वो खाली नही होती / लेकिन जब यह चरम सीमा पर होती है तो यह खतरनाक रूप भी अख्तियार कर लेती है

5 comments:

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

भाई,बड़े दिनो बाद भटक कर इधर आए,काफ़ी दिनों बाद आपकी पोस्ट पढ़ने को मिली । राम क्या रहमान क्या सभी तो वोटों की राजनीति के लिये मुद्दे बने हुये है । हमें इन पर दया करनी चाहिये और कमीने लोग जो इनकी आड़ में देश का सत्यानाश कर रहे हैं उनकी खबर लेनी चाहिये ..
जय जय भड़ास

Kavi Kulwant said...

बहुत अच्छा..
http://kavikulwant.blogspot.com

परमजीत सिहँ बाली said...

बिल्कुल सही बात कही है।

Anonymous said...

मित्र आपने सत्य कहा मगर राजनीति को भ्रष्टाचार से या भ्रष्टाचार को सिर्फ राजनीति से ना जोडें, आप सिर्फ नेता मात्र को ही दोष ना दें, बात आपने trp की भी कर डाली सो राजनीति मीडिया और ये मीडिया का गणित ये तमाम उलझन अपनेआप में भ्रष्टाचार से ओत प्रोत है, भोतिकवाद के दौर में पत्रकारिता ख़तम बंधुआ मजदूरी सुरु कारन मात्र बाज़ार. हमने राम रहीम अल्लाह सभी को इस बाज़ार में उतर दिया है देखो कोन कोन कहाँ कहाँ बिकता है.

Anonymous said...

Mr. , gandi was died in 1948 only, so how he said this in 1950