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29.3.08

संगीता बहन तुम्हे तुम्हारी खुशी छीन कर देंगे हम...हिम्मत रखो सब साथ हैं.

भडासी सथिओं,वरिष्ठों,विश्व के सबसे बड़े हिन्दी कम्यूनिटी ब्लॉग''भडास'' पर पधारे तमाम बुद्धिजीवी पाठकों। संगीता की कहानी उसी की जुबानी को आप तक पहुंचाने का उद्देश्य उसे न्याय दिलाने की एक सामुहिक कोशिश ही नही बल्कि समाज के समक्ष एक उदाहरण भी प्रस्तुत करना था। पंकज पराशर सर ने सूचित किया की इस सम्बन्ध में उन्होंने व्यक्तिगत रूचि ले कर किरण बेदी को भी वस्तुइस्थिति से अवगत करवा दिया है और महिला आयोग को भी जानकारी दे दी गयी है। संगीता को सम्मानजनक जिन्दगी कैसे लौटाया जाए इस प्रश्न की ओर हम सबों को अपना ध्यान आकृष्ट करना चाहिए। संगीता से वार्तालाप के दौरान उसकी पुरी व्यथा-कथा सुनने के बाद जी में आया की इस नारी को सलाम करूँ,हिन्दुस्तान की सभ्यता संस्कृति को अपने आँचल के छाँव में छिपाए इस जीवंत देवी के चरण स्पर्श कर लूँ, इसकी सहनशीलता से प्रेरणा लूँ,इसके धैर्य को धारण करूँ। जिस पति ने अपने हाथ से मांग में लगे सिंदूर को धो दिया ,जिस पति ने जीते जी विधवा बनने का दृश्य दिखा दिया देखिये इस भारतीय नारी के समर्पण को आज भी अपने मांग में उसी पति के सुहाग को लगा कर आयी है ,पतिपरायानता के इस नमूने ने हिला कर रख दिया।
हिम्मत रखो संगीताबहन ,कलम की कसम तुम्हे तुम्हारा हक़ हम जरुर दिलवाएंगे।
अब तनी टेरेक चेंज करते हैं। रात में खा-पी कर अखबार ले कर बैठे थे की मोतिहारी की एक ख़बर ने चौंका दिया और पढने के बाद लगा की संगीता को न्याय जरुर मिलेगा,बस हम सारे भडासी को एक साथ जोर लगा देना है। तो ख़बर इ था की पाँच बच्चों का एक बाप चुतिया साला ,ढकरा हाई स्कूल का एगो मास्टर छौरी के पढाते-पढाते कामसूत्र पढा दिया। अब दे दादा की ले दादा॥ देखो इस गुरु को ...इस मास्टर को देखो इ का देश के लिए अनुकरण पेश करेगा ,इ सार लोग गांड मार रहा है संस्कार और इज्जत के माप दंडों को। इ का देश के लिए ,शिक्षा के लिए काज करेगा ,ऐसन दोग्लिस मानसिकता की शिनाख्त कर इनको सजा जरुर मिलनी चाहिए.इ भोंसरी लोग दु इंची के फेर में सब परिवार,समाज का जीना हराम कर देते हैं। दु इंची के फेर में ऐसे लोग सब कुछ चौपट कर देते हैं ये साले लोग तो इनको गाली क्या सामने आयें तो गांड में कदीमा ठोंक देना चाहिए इनको।
लेकिन चंदेषर वाले मामले में पुलिस की सक्रियता के बाद संगीता के लिए एक उम्मीद जगी है,वैसे किरण बेदी क्या पहल करती हैं इसका आभास मुन्नवर आपा ने पहले ही दे दिया है। संगीता की तरह उस मास्तार्वा की पत्नी किशोरी देवी एक विकलांग पुत्र और चार जवान बेतिओं को लेकर परित्यक्त सी जिन्दगी जीने को विवश थी,किशोरी देवी कब तक ऐसी जिन्दगी का बोझ उठाती,पहुँच गयी बाल बच्चों संग मोतिहारी के एस पी सुनील कुमार झा के पास । एस पी ने महिला की व्यथा कथा सुनकर त्वरित कार्रवाई की,अभी उ मास्टर जेल में चक्की में लण्ड घुसा रहा है बुरल ...हे रे कल उ छौरी के जेल भेज दीहें,मस्तारवा के मिजाज बमक बम बोल होए रिया होगा।
तो ऐसे विक्षिप्तों को उसके करतूतों की सजा मिलना तो चाहिए ही पीड़ित को उचित न्याय और सम्मानजनक जीवन लौटाना भी हमारी प्राथमिकता में शामिल होना चाहिए। संगीता के मामले में पंकज दा ने तो ऊपर के अधिकारिओं तक बात पहुंचा ही दी है,डाक्टर साहब के आदेशानुसार परसों मैं संगीता को ले कर बेगुसराय के आरक्षी अधीक्षक अमित लोधा के पास जा रहा हुं । मैंने अन्तिम बार संगीता से कहा की दीदी इ घर का मामला है,हम लोग मिल बैठ कर निपटा लेते हैं,आना थाना ,पुलिस ,कोर्ट कचहरी क्या जाओगी,जानते हैं मित्रों बमक गयी थी संगीता,उसकी आंखों में ज्वाला धधक रही थी,ऐसा लगता था जैसे वह महिला सचमुच दर्द के गर्म सलाखों से दाग दी गयी लगती थी। उसने बार-बार यही दुहराया की उस रावण को मैंने और मेरे अबोधों ने बार-बार झेला है,बुरी तरह झेला है...मुझे और कुछ नही चाहिए भैया बस मेरी औलाद को जीने का हक़ ला कर दे दो। मैं भीख मांग कर भी इन बच्चों का परवरिश कर लुंगी लेकिन उस रावण की लंका में कदम नही रखूंगी। वार्ता लाप के दौरान ही संगीता ने बताया की उसके ससुर तिल्रथ के रतन सिंह के पुरोहित भी हैं। उनके यहाँ पूजा पाठ कराने जाते हैं। रतन सिंह बेगुसराय की बड़ी शाख्शियत हैं,साम-दाम-दंड-भेद सब निति पर चलने वाले पूर्व जिला परिषद् अध्यक्ष रतन सिंह के गाँव से जुडा मामला होने के कारण उन्हें भी इस मामले में व्यक्तिगत रूचि लेकर सामाजिक स्तर पर सुलझाने का प्रयास जरुर करना चाहिए। आप तमाम भडासी साथिओं से अपील है की कृपया संगीता और उसके अबोध बच्चे के लिए सिर्फ़ एक छोटा सा काम कर दो। बस आपको करना यह है की निचे जो इ मेल एड्रेस दिया गया है उस पर अगर दो सौ साथी भी संगीता की सहायता के लिए सिर्फ़ यह लिख कर भेज दो की ''इस सुहागिन विधवा की मदद कीजिये एस पी साहब। तो देख लेना हिन्दुस्तान की धरती पर यह भी एक इतिहास बन जाएगा की न जान न पहचान लेकिन ग़मों के दौर में हम कैसे दिल में समा जाते हैं। तो भाडासिओं आओ एक जोर लगाओ अन्याय और अत्याचार की इमारत ख़ुद बा ख़ुद गिर जाएगी,इस कम्यूनिटी ब्लॉग के माध्यम से शासन -प्रशासन को दिखला दो अपनी ताकत,अपना वजूद। एक उदाहरण दो दुनिया को की हम दूर रहकर भी सचमुच कितने पास हैं। इस प्रक्रिया के बाद हम संगीता के बच्चों के लिए और उसके पुनर्वास के लिए किसी संस्था से सम्पर्क करेंगे।
फिलहाल संगीता की यह मदद तो कीजिये हुजुर.....
email:-sp-begusarai-bih@nic.in
जय भडास
जय यशवंत
मनीष राज बेगुसराय

3 comments:

GARGI SINGH said...

ham sab sangita ke sath hain.

GARGI SINGH said...

ham sab sangita ke sath hain.

Anonymous said...

MAnish Bhai mail to hum karenge hi karenge or abhi kar rahe hain, parantu or bhi seva ke liye satat tatpar hain, didi ko insaf milna hi chahiye.

Jai Bhadas