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2.3.08

भडास ने गुंगो को आवाज और लंगरों को बैशाखी का सहारा दिया है.

*आंचलिक क्षेत्र के युवा ले रहे गहरी अभिरुचि
*विभिन्न वर्ग,जाती,सम्प्रदाय के लोगों ने 'भडास' को वंचितों,शोषितों का मंच बताया
*प्लान मैन मीडिया एवं आई आई पी एम् थिंक टैंक के प्रधान संपादक अरिंदम चोधरी के सम्पादन में प्रकाशित''द सन्डे इंडियन'' ने बताया की ऑनलाइन विरोधों ने वैश्विक स्तर पर स्थानीय मसलों को बुलंद आवाज दी है।
भडास और भडास से हाल के दिनों में जुड़े ग्रामीण पृष्ठभूमि के शिक्षित एवं बुरबक लोगों को इस थिंक टैंक के ताजा आलेख के बारे में जान कर उत्सुकता तो बढ़ी ही होगी ,आलेख उनको स्पंदित तो जरुर किया होगा ,खास कर हमारे नए युवा भडासी साथी जो सचमुच जमीन की जिन्दगी जीते हैं और अपने आस पास के बेचैनी को शिद्दत से महसूस करते हैं उन्हें थोरा सुकून जरुर मिला होगा। उन्हें यह याद आ गया होगा की बिहार का सबसे पिछडा जिला खगरिया की जद इउ विधायक पूनम देवी यादव के निजी सचिव के रूप में कार्यरत रहने के दौरान स्थापित किए गए''वीर-बंधू'' संस्था के द्वारा ''ब्लॉग बोले तो वंचितों का सहारा'' परिचर्चा का आयोजन करवाया था जिसमें यह रण निति बनी थी की उत्तर पूर्व बिहार बाढ़ के कारण भयंकर बर्बादी के चपेट में है ,प्रत्येक वर्ष सरकार बाढ़ के समय में ही सक्रीय होने का नाटक करती है भले ही उन्मूलन शब्द उनके शब्दकोष में नही हो। इसलिए हम लोगों ने तय किया था की इस मसले को इंटरनेट के जरिये दुसरे देशों के लोगों तक पहुंचाएंगे और अपील करेंगे की वे किसी भी रूप में हमारी मदद करें और प्राकृतिक विपदा के शिकार इस आबादी को विलुप्त होने से बचाने में हमारी मदद करें। इतना ही नही हम लोगों ने अन्य सामाजिक मुद्दे पर भी विचार किया था की वास्तव में इस आबादी का भला कैसे हो। लेकिन कोई ऐसा मंच मिल नही रहा था जहाँ पर खड़ा हो कर चिल्लाया जा सके लेकिन देखिये मेहनत कभी बेकार नही जाती है और आज हम लोगों को भडास के रूप में एक भगवान् ही मिल गया है जो हमे अपने अधिकार दिलाने के लिए हमसे कहीं ज्यादा सक्रीय है। अब हम अपने समाज के एक एक बिन्दु को इस वैश्विक मंच पर लाएंगे...बहस करेंगे...चुप..स्स्ल्ला...बहस विमर्श....ऐसे बोल न की जमीन पर ठोस काम कर के दिखाएँगे।
तो कहीं कुछ नही ''द सन्डे इंडियन'' का पृष्ठ १६ पढ़ें और लेखक अकरम हक़ साहब को दिल से बधाई दें की उन्होंने यह आलेख लिख कर हम वंचितों,पीडितों,उपेक्षितों को वैश्विक बुलंदी प्रदान की है,हमें रास्ता दिखाया है इस के लिए हम उनको सलाम करते हैं। हमारे ढेर सारे भडासी साथी हमसे इतने दूर हैं ,विपरीत कष्ट्जन्य स्थिति में जीने को अभिशप्त हैं,वर्तमान सामाजिक ढांचा से उब कर ताजगी की ताज़ी हवा में साँस लेना चाहते हैं,तो भैओं ,साथिओं सही वक्त तो अब आया है स्वयं को साबित कर के दिखलाने का,एकजुटता का परिचय देकर दिखला दो की हम गूगल के कार्यालय की तो बात छोरिये हम संयुक्त राष्ट्र का ध्यान अपनी और खिचेंगे ,अपनी वेवश पड़ीं आबादी का नंगा सच दुनिया के सामने लायेंगे उन्हें बताएँगे की हमारे खून पसीने की कमाई खाने वाले हमारी थाली में एक रोटी देने के वजाए हमारे सारे परिवार का भोजन क्यों छीन लेते हैं,नसबंदी से ले कर जाती,आवासीय एवं विभिन्न सरकारी प्रमाण पत्र के साथ साथ अन्य कार्यों में हम गरीबों का कागज़ धन के अभाव में दस्तबिन की शोभा क्यों बन कर रह जाता है? प्रकृति की क्रूरता तो हमें तबाह कर ही रही है,इन शुद्ध मनुष्यों की पाशविक प्रवृति से क्यों हम रोज तबाह बरबाद हो रहे हैं?
जानते हो ,विश्व के विभिन्न हिस्सों के उपेक्षितों ,वेवाशों ने अपने वर्तमान एवं भविष्य की पीढ़ी को सुरक्षापूर्ण जीवन एवं गौरवमयी विरासत देने हेतु इसी इंटरनेट का इस्तेमाल किया है तो हम भोंसरी के बुरबक हैं का....चलो अगली योजना तो बाद में बनायेंगे पहले इस ताजा ख़बर को मन लगा कर चाव से संभावनाएं तलाशते हुए पुरी गंभीरता से पढो:-
तकनीक का कमाल
विरोध का कारगर हथियार बनता इंटरनेट
ऑनलाइन विरोधों ने वैश्विक स्तर पर स्थानीय मसलों को भी दी बुलंद आवाज
''वह एक ब्रिटिश नागरिक था.नाम टीम बर्नर्स ली। खोज १९९० के दशक में इंटरनेट की। शायद उन्होंने कभी सोचा भी नही होगा की उनकी संकल्पना एक दिन सामाजिक,राजनितिक और पर्यावारानिया गतिविधिओं का सबसे बड़ा केन्द्र बन जाएगी। सचमुच एक ऐसे युग में जब न्याय,अधिकार और सत्य के लिए आवाज उठाने वालों की जुबान क्रूरता पूर्ण तरीके से दबा दी जाती है,सौभाग्य या दुर्भाग्य से सभी कल्पनाओं और बाधाओं के परे इंटरनेट ने इस वैश्विक दुनिया में स्थानीय हितों को पुरी शिद्दत से उठा दिया है। इसने सभी सीमाओं के पार के लोगों में जाग्रति और संदेश का प्रचार किया है.यह पुरी तरह से नए तरीके और गतिशीलता के साथ होता है। जी हाँ,हमें यह भी पता चलता है की वर्ल्ड वैद वेभ किस तरह से वैश्विक स्तर पर मसले को उठाता है।
मक्सिको की कम जानी मानी जन जाती जप तिस्ता पिछले पन्द्रह सालों से अपनी जमीन की लड़ाई लड़ रही है। हालांकि उनके संघर्ष ने तब नयी शक्ल अख्तियार कर ली जब उन्होंने इंटरनेट के जरिये संचार शुरू किया। उनके लगातार मेलो एवं आलेखों ने लाखों लोगों का दिल जीत लिया.उनकी पीडा पुरी दुनिया में महसूस की गयी। लोगो ने उनके संघर्ष को भली-भांति जाना और समर्थन व्यक्त करने की होड़ मच गयी। उनको काफी सहानुभूति ही नही मिली बल्कि हजारों लोग उनके मसले के लिए लड़ने के लिए तैयार हो गए। यह देखना सचमुच दिलचस्प रहा की धरती के दुसरे कोना में बैठा कोई इंटरनेट को हथियार बना कर इनकी और से लड़ने को तैयार था।''
तो और ढेर सारी बातें बताया गया है इस पत्रिका में जो बल देते हैं ,क्रांति की मशाल को अपने आँचल का छाँव देते हैं, इसलिए उन तमाम शुभ चिंतकों को वास्तव में वंचितों की लड़ाई लड़ने वाले हजारों लाखों युवाओं को बधाई देते हुए एक आह्वान की कमर कस कर सामने आओ,बक्चुद्दी मत करो सिर्फ़ समस्या का समाधान खोजो,उनके आँखों की आंसू को पोंछो जो सचमुच जमीन पर दर्द में कराह रहे हैं तो साथिओं वह वक्त बिल्कुल देखने लायक होगा बल्कि साबित करने वाला होगा ख़ुद को,ख़ुद की उर्जा को।
जय भडास
जय यशवंत
मनीष राज बेगुसराय

2 comments:

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

जियो मनीष भाई....
जय भड़ास
जय यशवंत
जय मनीषराज
जय क ख ग घ
जय च छ ज झ
..........
..........
जय क्ष त्र ज्ञ
जय A B C....Z
पर हर हाल में जय जय भड़ास

Unknown said...

sahi