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18.6.08

एक अति आवश्यक सूचना के साथ अपील।


भडासी मित्रों,
डाक्टर रुपेश जी से मिले जानकारी के मुताबिक न्याय के लिए न्यायपालिका और कार्यपालिका से जुझारू लड़ाई लड़ कर विजय के साथ इन्साफ का तिरंगा लहराने वाले जस्टिस आनंद सिंह के छोटे भाई नरेन्द्र सिंह जो की वरिष्ठ अधिवक्ता हैं और जस्टिस साहब के लड़ाई में बराबर के सहयोगी को आप तमाम भडासी के साथ साथ भडास पाठक से सहयोग और मदद की दरकार है।

ज्ञात हो की नरेन्द्र सिंह साहब हड्डी के टी बी के रोगी हैं और गहन चिकित्सा में हैं। डॉक्टरों के मुताबिक इनके प्लाज्मा को बदलना होगा और संग ही चार बोतल रक्त की भी आवश्यकता है।

सहयोगी 09871075839 नम्बर पर सम्पर्क कर सकते हैं।

6 comments:

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

भाई,अब देखना है कि दिल्ली वाले इन लड़ाके सिपाहियों को अपना खून देने में कितनी लम्बी लाइन लगाते हैं........ अगर ये सेनानायक जिन्दगी की जंग हार गया तो इसके लिये काफ़ी हद तक हम सब जिम्मेदार होंगे.... एक बार फिर खून देने का सौभाग्य मिला है ऐसे मौके बार बार नहीं आते....

Anonymous said...

दो बातें बताना है पहली ये कि जस्टिस आनंद सिंह नाम है न कि आनंद चौधरी,दूसरी ये कि किन चूतियों से खून की उम्मीद कर रहे हो ये तो जरूरत पर मूतेंगे भी नहीं जिन्हे गुलामी की आदत हो उन्हें आजादी के सिपाही से क्या लेना देना????????

Anonymous said...

रजनीस जी आपने सहयोग केलिये कहा लेकिन दिल्ली से हजार किलो मीटर दूर रह रहा ब्यक्ति क्या कर सकता है? अगर आपकी इजाजत हो तो मै एक ह्जार रु की छोटी मदद अपने समर्थ अनुसार कर सकता हूं। अन्यथा नही ले ,माफ़ी के साथ,
धन्यवाद
लिखें
uk.soni@rediffmail.com
sms-09424168870

Anonymous said...

भाई अनाम महोदय,
जस्टिस आनंद सिंह का नाम गलत लिखने के लिये मैं शर्मिन्दा हूं ओर माफ़ी चहता हूं।
कृप्या सुधार कर पढें।

सोनी जी धन्यवाद, वैसै मैं आपके शहर में काफ़ी घुम कर आया हूं, रायपुर भाष्कर, हरिभूमि रायपुर ओर विलासपुर संग ही नयी दुनियां राय पुर में भी मैं परिचय का मोहताज नही रहुंगा। आप रहने दें कयौंकि पत्रकार ओर उनके चरित्र काफ़ी हैं कहानी कहने को रही बात मदद की तो उपर डाक्टर साहब का लिखा पढ लें।

जय जय भडास।

Anonymous said...

रजनीस जी धन्यवाद के लिए धन्यवाद।
मुझे दुख है की आप एक तरफ़ भडास के पाठको से सहयोग की अपील करते हैं दूसरी ओर आप उन्ही पाठको मे वर्ग ढूढंते है। मैने आपको कही नही लिखा की मै पत्रकार हूं मै केवल अपना फ़ोन नम्बर और ई-मेल ही लिखा था। मै अपना नाम भी नही लिखा था यह आप देख कर तसल्ली कर सकते है। हां यह हो सकता है की आप पत्रकारो का चरित्र जानते जिसके कारण आप पत्रकारो से सहयोग न लेने का नियम बना रखा हो तब आपको उन बहिष्कृत वर्गो का उल्लेख करना था जिन से आपको सहयोग नही लेना था तो अच्छा होता। खैर आप परिचय के मोहताज नही है यह बताया इसके लिए आपका आभारी हूं। जस्टिस श्री चौधरी या श्री सिहं जिन्हे मै जानता भी नही( पर आप जानते है)के लिए एक मार्मिक अपील के कारण शायद गलती कर बैठा जिसके लिये मुझे माफ़ करें।
दूसरी कहावत शायद आपको भी पता हो की बेईमान ब्यक्ति भी ईमानदारी का स्वांग करता है तथा दुतल्ला वाली रन्डी अपने को सती तथा गली की रन्डी को "साली दो टके की "रन्डी है कहती है

शेष फ़िर कभी.....
क्षमा के साथ
उमेश सोनी

Anonymous said...
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