ये गीत मैंने कई बार सुना है और बांस जैसी फटी आवाज में न जाने इसे कई बार चीखा है , पर क्या गजब है कि इसके रचनाकार का नाम मुझे भूल गया है । खैर बस इतने से अपराध के लिए इसे पढने -गाने से ख़ुद को वंचित करने की भयानक सजा मैं ख़ुद को नही दे सकता । आप भी पढिये और मजा लीजिये , हंसिये , रोइए - क्या इसके रचनाकार भिखारी ठाकुर हैं ?
रेलिया बैरन...पिया को लिए जाए रे...
रेलिया बैरन, पिया को लिए जाए रे.....
जौने टिकसवा से, पिया मोरे जैईहें......
बरसे पनिया, टिकस गलि जाए रे.....
जौने शहरवा में पिया मोहे जैईहें........
लग जाए अगिया, शहर जल जाए रे.....
जौने मलिकवा के पिया मोरे नौकर....
पड़ जाए छापा, पुलिस लै जाए रे.......
रेलिया बैरन, पिया को लिए जाए रे................
जौने सवतिया के पिया मोरे आशिक....
गिर जाए बिजुरी, सवत मर जाए रे.....
रेलिया बैरन, पिया को लिए जाए रे.....
अरे.....धीर धर गोरिया रे, तोरे पिया रहिएं....
विनती करिहें, पिया जी घर आएं रे......
रेलिया बैरन पिया को लिए जाए रे.......
4 comments:
bhaut achha laga aur agar aap bhojpuri song online sunna chhahte hai to is link par jaeye
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dhnayavad.
आपकी बात में वह दम है की मन की बात वैसे ही अंदर से बाहर निकल आती है. भोजपुरी गाना पढ़ा कर मान खुश हो गया. भोजपुरी मी टू शायद कोई गाना नही मिल पता है. फिर भी खोज जारी है. अगर गाना ऑनलाइन सुनना हो टू इस लिंक पर क्लिक्क करें . http://bhojpurimp3.blogspot.com/ बहुत मजा आएगा जब इसे सुनेंगे. साथ ही यह भी बता दूँ की गाने को अपने ब्लॉग पर भी पोस्ट कर सकते हैं.
आपका अखिलेश
हरे दादा,
हमने इसे कभी नही सुना ओर ना ही गाया है मगर जो आत्मीयता, लगाव ओर स्नेह मुझे मैथिलि से है वो ही भोजपुरी से भी। अनमने जंगल में घर की याद हो आयी। आपको साधुवाद।
जय जय भडास।
वाह, इसे मैं गाता तो खूब रहा हूं पर पूरी लाइनें नहीं पता थीं, बस दो लाइनें ही याद थीं। शुक्रिया भाई।
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