श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़ जिले में जितने पत्रकार हैं उतने बहुत कम जिलों में होंगें। इसका कारण यहाँ से प्रकाशित होने वाले अखबारों की संख्या। श्रीगंगानगर जिला मुख्यालय से एक दर्जन से अधिक दैनिक अखबार शानदार तरीके से प्रकाशित होतें हैं। सभी के रिपोर्टर कस्बों और गांवों में हैं। इस के अलावा हैं न्यूज़ चैनल्स के रिपोर्टर। ये अपने अपने जब ये पत्रकार हैं तो ख़बरों का काम तो करते ही होंगें। मगर इस के साथ साथ आजकल ये बीमा भी करतें है। दोनों जिलों में बहुत से पत्रकार आजकल प्राइवेट बीमा कंपनियों के एजेंट बने हुए हैं। चूँकि इनके पास कलम और गन माइक की ताकत है इस लिए इनको ऐसे लोग मिल ही जाते हैं जिनका ये बीमा करने में इनको कोई दिक्कत नहीं होती। ऐसे पत्रकार अपनी पत्रकारिता से चाहे कुछ ना कमाते हों हाँ पत्रकार की हैसियत से इनको बीमा करवाने वाले खोजने में ज्यादा दिक्कत नहीं आती। प्राइवेट कम्पनियों के बड़े बड़े अधिकारी आजकल ऐसे पत्रकारों की तलाश में रहते हैं जो उनके एजेंट बनने को तैयार हों। इस के लिए बाकायदा कई कई मीटिंग्स होतीं हैं। पत्रकारों का यह नया काम कस्बों में अधिक हो रहा है। इस काम में हर माह खूब पैसा कमीशन के रूप में मिल जाता है। महंगाई में और चाहिए भी क्या। इसे कहते है अपनी ताकत का सही इस्तेमाल करना।
15.9.08
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4 comments:
aajkal yahi chalta hai...main ye sab kuchh tab se dekh raha hun jab main seema sandesh me likha krta tha.....aur to aur maine ese hi bahut se patrakaaron ko 100-100 rupayon ke liye blackmail krte dekha hai...ese hi bahut se or bhi kaam hai inke pas...rajnish
bhaiya hamare yahan akhwaar malik khali nahi baithne dete vigyapan vassol karvate hai.
मुनिवर,
दलाली का बेहतरीन उदाहरण दिया है आपने,
कमोबेश सभी जगह ये ही हाल है, क्या झुमरी तलैया क्या दिल्ली,
बस दलाली ही दलाली.
जय जय भड़ास
भाई दलाली का यह उत्तर आधुनिक और वैश्वीकृत रूप है. हर बन्दे को ऊपर की कमाई चाहिए, पत्रकारों को इसी तरह से ऊपरी कमाई सही. जब अखबार मालिक पूरी तनख्वाह नहीं देंगे तो यही होगा. जैसे मास्टर स्कूल में पढाने के साथ टूशन भी करता है, बेचारे गरीब पत्रकार बीमा करते हैं, मालिक अगर वेतन बोर्ड लागू करें या अच्छा वेतन दे तो कोई यह सब क्यों करे?
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