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12.9.08

जनता की नही किसो को फिक्र

बात ज्यादा पुरानी नहीं है। सब को ख़बर भी है। देश में राष्ट्पति उप राष्ट्पति और राज्यपाल के वेतन को एक बार फिर बढ़ा दिया गया है। उच्च पदों पर बेठे इन माननीयों पर हर महीने लाखो रुपया वैसे भी खर्च होता है। भारत का यह एक पहलूँ है। इसके दूसरे पहलूँ पर नज़र डालना भी जरूरी है।
देश में४० करोड़ जनता गरीबी की रेखा से नीचे जीवन यापन करती है। यानि उनके पास एक वक्त को खाना खाने के भी पैसे नहीं होते। १६ करोड़ जनता बेरोजगार है। जिसके पास काम ही नहीं है। भारत के लोग दाने दाने को मोहताज है। ऐसे मे माननीयों का वेतन बढ़ना जनता के हितों के खिलाफ है। राष्ट्पति का वेतन तीन गुना बढ़ा कर १.५ लाख, उप राष्ट्पति का १.२५ लाख और राज्यपाल के वेतन को१.१० लाख कर देना कहा तक उचित है। वो भी उस हालत मे जब देश का बच्चा भूखा सोता हो। जब देश के राज्यों मे किसान आत्महत्या कर रहे हो। करेब १.५ लाख किसान आर्थिक तंगी की वजह से अपनी जान दे चुके है। ऐसे मे जब देश का किसान दो वक्त की रोटी को संघर्ष करता हो माननीयों के वेतन को बढ़ा कर देश की कौन सी तरक्की होगी । यह देश की जनता की भावनाओ से खिलवाड़ नहीं है तो फिर क्या है। क्यो जनता के पैसे को इस तरह से लुटाया जा रहा है। इसका जवाब क्या नेता जनता को दे पाएंगे, जिन्हें जनता ने ही चुन कर कैबिनेट तक पहुंचाया है। या फिर ऐसे ही लूट खसोट चलती रहेगी। जनता के हितों को भुलाया जाता रहेगा। जनता के नाम पर ख़ुद की तिजोरिया भरी जाती रहेंगी। जनता अभी भी नहीं जगी तो आने वाले वक्त मैं इतिहास फिर दोहराया जाता रहेगा । जनता के हितों को तक पर रखा जाता रहेगा । क्या जनता को जीने का हक नहीं है। तो फिर उनके हितों की बलि देकर माननीयों का ख्याल क्यो रखा गया। क्या इंडिया मे बस माननीयों को ही jiने का हक रह गया है। बाकि जनता को नहीं।

2 comments:

Anonymous said...

samajh nahi aata itne rupye ye kharch kaise karte hain.vaise agar mujhe is prkar ki "sewa" ka mouka
de to main koi salary nahin lunga.palle se kuchh de diya karunga.agar viswas na ho to sewa ka mouka dekar dekh lo.[cell number 09414246080] aajkal main free bhi hun.vaise inko janta ki parwah hoti to bharat ka naksha badal chuka hota.--naradmunig
naradmuni sriganganagar

Anonymous said...

जनता कि परवाह, हुजूर आप मजाक तो नहीं कर रहे,
सब को बस अपनी परवाह है, नेता को अगले चुनाव की, पत्रकार को अगले सनसनी कि, और लोगों कि इस चुतियापे में शामिल हो चूतियों को बधापा देने में.
जय जय भड़ास