केन्द्र सरकार ने गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित करने का निर्णय लिया. हजारों वर्षों से हमारी सभ्यता की साछी रही, हमारी परम्पराओं से अटूट रूप से जुड़ी रही गंगा आज केन्द्र सरकार की अनुकम्पा पर निर्भर है तो यह राष्ट्रीय शर्म का विषय है या गर्व का! ऐसा लग रहा है जैसे उसका अधिकतम सम्भव शोषण कर चुके होने के बाद अब हमने उसे किसी वृधाश्रम में भेज देने की ठान ली है. यह लिखते हुए मेरी उंगलियाँ कांप रही हैं, मगर आज सुबह फ़िर बनारस में मरे पशु को गंगा में बहते देख यह भावना व्यक्त करने से ख़ुद को रोक नही पा रहा, जहाँ अभी 'गंगा महोत्सव' की तैयारियां भी जोरों पर हैं. वैसे भी राष्ट्रीय दिवस आदि घोषित अवसरों से जुड़े कर्मकांडों से किसी का क्या भला हुआ है और किनका भला हुआ है हम तो देख ही रहे हैं और आगे भी देखेंगे. और यही नियति उस गंगा माता की भी होगी जिसकी संतानों ने उसे 'कालापानी' की सजा देना ही काफी नही समझा है. अब मैं भी प्रार्थना करता हूँ की प्रभु माँ गंगा को मोक्ष प्रदान करें, क्योंकि उसकी संतानें नहीं जानतीं की वो क्या कर रही हैं !
8.11.08
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4 comments:
Sharm unko aati hai jo iski keemat jaante hen .|
Besharmi ka libaadaa ourne vaalon ke to sameep bhi nahin fatakti .Lihaajaa gangaa putr apnaa kartavya nibhao .Ab samay aa gayaa hai jab gangaa putron ko svayam apne purkhon ke mokhsh aur aane vaali generations ke jeevan ke liye gangaa maiyaa ke vishya main sochnaa aur use karyaanvit karne ka samay aa gayaa hai.kinkartavyaavimoor isthti ko tyagne ka ahvaan hai.aapkaa prayaas sarahniya hai.
Sharm unko aati hai jo iski keemat jaante hain .Besharmo ke to nikat bhi nahin fatakti.Isi liye gangaa putr kinkartavyavimoor isthiti se logon ko bahr nikalo.yeh apne poorvajon ke mokhsh aur aane vaali generation ke liye jaroori hai.aa
pkaa prayas achaa hai sadhuvaad .
Sharm unko aati hai jo iski keemat jaante hain .Besharmo ke to nikat bhi nahin fatakti.Isi liye gangaa putr kinkartavyavimoor isthiti se logon ko bahr nikalo.yeh apne poorvajon ke mokhsh aur aane vaali generation ke liye jaroori hai.aa
pkaa prayas achaa hai sadhuvaad .
Dhanyawad Jhalla Ji.
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