SMS No.1
Where is Raj Thackeray and his ''brave'' Sena? Tell him that 200 NSG Commandos from Delhi (No marathi manoos! All South & North Indians!) have been sent 2 Mumbai.
SMS No.2
Goli ke jawab goli sey deney waley Maharastra k Dy CM RR Patil ki goli kaha gayi? Kaha gaya Mumbai ka so called rehnuma raj thakary, uski mumbai ko kyu bacha rahey hain gair marathi loag...Apni jaan deney waley NSG ke Major kya Marathi the....MNS ki sena ney maa ka doodh piya hai to bahar aayey...Jai Hind
SMS No.3
Plz forward Raj Thackeray's phone no. if u find it. Dnt no where he is when u need him. We want him to go and save amchi mumbai alongwith his MNS goondas, ''THE" sons of the soil. Army, NSG commandoes are not Marathi Manoos...Why should they fight or lay their life for Mumbaikars......
उपरोक्त तीन एसएमएस आज मुझे दिन में मिले। पहला वाला शरद ने भेजा, दूसरा शलभ ने और तीसरे साथी का नाम मेरे सस्ते वाले मोबाइल में सेव नहीं है क्योंकि केवल 250 मोबाइल नंबर ही सेव करने की क्षमता मेरे मोबाइल में है और इन्हीं में से डिलीट व रिप्लेस व सेव करता रहता हूं। तो, इन तीनों साथियों के एसएमएस में जो कामन बात थी वो राज ठाकरे और उनके लोगों को ये नसीहत देना कि बेटा, बहुत मराठी मराठी करते थे, अब जब फटी पड़ी है तो देखो किस तरह देश के कोने कोने से सेना में सेवा दे रहे जवान तुम लोगों की धरती बचाने के लिए अपनी जान देने आए हैं। अरे, राज ठाकरे और आर आर पाटिल, तुम लोगों में थोड़ी भी हिम्मत होती तो अपने लोगों को साथ लेकर आतंकवादियों से दो दो हाथ करने के लिए कम से कम सामने तो आते। लेकिन ये लड़ेंगे क्या, चेहरा तक दिखाने सामने नहीं आ रहे हैं।
मैं इन तीनों एसएमएस को इसलिए यहां डाल रहा हूं ताकि आप लोग भी इसे अपने मोबाइल में टाइप कर या मेल में डालकर ज्यादा से ज्यादा लोगों को भेजें और बताएं कि क्षेत्र, जाति और धर्म के नाम पर बंटवारा व मारपीट कराई ही इसलिए जाती है क्योंकि इसके आधार पर राजनीतिक लाभ लेना होता है और इस लाभ के जरिए देश या प्रदेश की सत्ता हासिल करनी होती है या सांसद या विधायक या पार्षद बनना होता है। ये जो राजनेता लोग हैं, वो इस वक्त सबसे गिरे हुए लोग हैं और दुर्भाग्य से इन्हीं लोगों के हाथों में देश के भविष्य को तय करने वाली नीतियों पर फैसला लेने की ताकत है। ऐसे में कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि क्षेत्र, जाति या धर्म के आधार पर राजनीति किए बिना ये कैसे चुनाव जीत पाएंगे। क्योंकि चुनाव में वोट मांगने किस आधार पर जाएंगे। जनता उनके काले कारनामों का हिसाब न मांगे इसलिए वो जनता को जाति, भाषा या धर्म के आधार पर लड़ा देते हैं, और जनता ससुरी पगलिया के लड़ भी जाती है। बस, फिर क्या, पोलराइजेशन तगड़ा हो जाता है। दे दनादन वोट गिरने लगते हैं हिंदू-मुस्लिम के आधार पर, हिंदी गैर हिंदी के आधार पर, दलित सवर्ण के नाम पर.........................
धन्य है अपन का देश। और इस देश की हम जैसी जनता। हम साले चोर टाइप के लोग अपने खोल में जीते रहेंगे, राजनीति में नहीं आएंगे क्योंकि मान चुके हैं कि ये ठग्गूवों का काम है। और ठग्गू जब हम लोगों को आपस में लड़वा देते हैं तो भी हम नहीं समझ पाते कि ये जो चिरकूट ठग्गू हैं, हमें बिना मुद्दे को मुद्दा बनाकर लड़ा रहे हैं। हम भी करने लगते हैं जय हिंदू या मार मुस्लिम या अल्ला हो अकबर और काफिर हिंदू.......
यही वक्त है समझने का। देश मुश्किल में हैं। सिस्टम भ्रष्टतम स्थिति में है। सब साले पैसा ले लेकर आतंकवादी घुसा रहे हैं। आईबी या इंटेलिजेंस या रा या सीबीआई या पुलिस.....सबमें दो तिहाई से ज्यादा लोग सेटिंग गेटिंग वाले हो गए हैं, जुगाड़ पानी से आए हुए लगते हैं.....किसी को कुछ खबर ही नहीं लगती कि आखिर इतने आतंकी इतने सारे हथियार लेकर कहां से चले आते हैं........
अमेरिका, इंग्लैंड, आस्ट्रेलिया, जर्मनी समेत ज्यादातर देशों में आतंकवाद विरोधी कानून अलग से बनाए गए हैं लेकिन अपने देश के ये चिरकुट नेता साले कभी सोचते भी नहीं हैं कि आतंकवाद को सबसे बड़ा खतरा मानकर इससे निपटने के लिए समुचित कानून बनाया जाए। पुलिस तो बिना हेल्मेट के जा रहे दो पहिया वाले को पकड़कर वसूली करने में लगी रहती है, उसे कहां चिंता है कि कार की डिग्गी में विस्फोटक लादे टाई कोट वाले भाई साहब चले जा रहे हैं। उसे तो कार देखकर ही डर लगता है, पता नहीं कितना बड़ा सोर्स सिफारिश वाला होगा, वर्दिया न उतरवा दे.......।
क्या कहा जाए, कुछ कहा नहीं जाए
बिन कहे कुछ, रहा नहीं जाए.....
भड़ासियों, चलो कुछ हम लोग भी सोचा जाए इस दिशा में, कुछ करा जाए इस दिशा में, क्यों न रीजनीति में कूदा जाए हम लोग भी.....सोचो जरा.......कब तक शरीफ के नाम पर अपनी और अपने देश की मरवाते रहेंगे.....अब ढिठाई के साथ अच्छे लोगों को आगे बढ़ना चाहिए और उसी बेशरमी से अच्छी राजनीति करनी चाहिए जिस बेशरमी से गंदे नेता गंदी राजनीति करते हैं......लेकिन सवाल है कि बिल्ली के गले में घंटी बांधेगा कौन?
जय भड़ास
यशवंत
((हां, आतंकवादी हमले के मामले पर भड़ास के साथियों ने जिस तरह की भावोत्तोजक पोस्टें डाली हैं, उसे पढ़कर वाकई यह समझ में आता है कि सिस्टम के नाकारेपन को लेकर देशभक्तों के दिल में कितना दर्द है, मैं आप सभी लिखने वालों को सलाम करता हूं जो अपनी दिल की भड़ास को प्रकट निकाल पाए लेकिन इस भड़ास निकालने से ही दिल हलका कर लेने की जरूरत नहीं है। ये जो सीने में आग लगी है, इसे सही मंजिल तक पहुंचाना जरूरी है वरना कल को हम फिर शांत हो जाएंगे और परसों फिर कहीं आतंकी हमला होगा))
29.11.08
आतंकी हमला और मेरे मोबाइल पर आए तीन एसएमएस
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4 comments:
Very correctly said! Raj Thakre aur unki MNS sirf seedhe masoom par he hungama kar sakte hain, ab jab sachmuch ke terrorists dikkayi de rahen hain, to kaun apni jaan jokhim mein dalega? Batla House ke Shaheed Late Mr. Sharma ki shahadat par ungaliyan uthane wale rajnetaon se kaho, ki pahle jakar in aatankwadiyon se bhi interview lekar aao, ki jinhonen 150-200 innocent logon ko maar dala, wo sachmuch ke aatankwadi hain, kahin kal ko unhe bhi kanooni sahayata dete huye nazar aayen.
Hum aam log bhi ya to moorkh hain ya kayar, jo in raajnetaon ko unki aukat nahin dikhate
yashwant je rajneeti me ache logon ka ana behad jarrori hai. aur abhi hum ek pariwarton ke daur se gujar rahe hain ane waale 10 saalon me ye aap bharosa maneya ki bharat me bhi naye teawar waale padhe likhe rajnitigyea hoonge.
आतंकियों ने बेकसूरों की ओट ले रखी थी तभी इतने बेकसूरों की जानें गई हैं. राज ठाकरे ने पूरे देश को बर्बाद कर दिया है. मेरी सोच ये है कि आतंकियों को उनके ही घर में घुस के मारा जाये, तभी शहीदों की आत्माओं को शान्ति मिलेगी. अभी मैं केवल 9 साल का एक भारतीय बच्चा हूं इसलिये कोई गलती हो गई हो तो मुझे माफ़ करें.
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