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8.11.08

सच आज की राजनीति का ........


सच आज की राजनीति का ........
एक गली से नेता जी चले जा रहे थे
सभी को हाथ जोड़े चले जा रहे थे
सबसे हाथ मिलाते छः इंच मुस्कान से अपनी खींस दिखाते
मानो वो ही आज के अभिनेता हैं
वर्तमान और भविष्य के वेत्ता हैं
ऊपर से टीम-ताम धोती कुरता पहने
मानो कामदेव स्वयं वोट मांग रहे हों
भाइयों एवं बहनों,अन्धो एवं बहरों
आप मुझे वोट दो, मैं आपको नोट दूँगा
निरक्षरों को अखबार दूँगा
बेरोजगारों को रोजगार दूँगा
और कुछ नही तो आश्वासन दूँगा ।
नेता जी ने रोजगार फार्म निकलवाए
समूह "क से "ज्ञ " तक के फार्म निकलवाए
हमने भी समस्त शैक्षित व जात प्रमाण पत्र लगाये
मैं फार्म जमा करने गया
कतार में खड़ा हो गया
कतारें इतनी लम्बी थी की अन्दर का दृश्य देख पाना आँखों के वश में न था
मानो मतदान की कतारें थी
अचानक एक धक्का लगा
मैं जमीन पर आ गिरा
मेरे ऊपर लातों जूतों की बौछार हुई
मैं उठा भागा फ़िर लाइन में लगा
एक महानुभाव ने मेरा भी फार्म जमा किया
मैंने कहा भइया आप तो एकदम सन्यासी हो
मैं आपका ये एहसान जिंदगी भर नही भूलूंगा
उसने हाथ जोड़ बोला मैं भी फलां दल का प्रत्याशी हूँ
मंच पर आपका भी नाम बोलूँगा
मैंने पुछा भइया तुमको टिकेट कैसे मिल जाता है जेल के अन्दर से विकेट मिल जाता है
वो हाथ जोड़ बोला तुम भी चोरी करो डाका डालो
खून करो दंगा फैलाओ
तुमको भी टिकेट मिल जायेगा,जेल के अन्दर से विकेट मिल जायेगा
और देश की राजनीति में तुम्हारा भी नाम अमर हो जायेगा .......
इसी तरह नेताओं की अम्ल वर्षा रूपी वाक्पटुता ने हमारे देश को पंगु बना दिया है .....

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