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7.4.09

Loksangharsha

Loksangharsha

गीत


पहले सा इंसान नही है
जिंदा है पर जान नही है

जिस दिल में भगवान नही है
पत्थर है इन्सान नही है

अब तो ऐसा ही लगता है
मुफलिस का भगवान नही है

कदम कदम दुशवार है लेकिन
रुकने का इमकान नही है

दीवानों की बात पूछो
सेहरा भी वीरान नही है

अर्जे तमन्ना पर ये आलम
चेहरे पर मुस्कान नही है

वाह रे मुहब्बत मद्यम मद्यम
हलचल है तूफ़ान नही है

लाख इबादत करून मैं "राही"
सज़दों पर अभिमान नही है
- - - डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेल "राही"

1 comment:

pooja said...

bahut badiya likha haa...........