गीत
पहले सा इंसान नही है।
जिंदा है पर जान नही है।
जिस दिल में भगवान नही है।
पत्थर है इन्सान नही है।
अब तो ऐसा ही लगता है।
मुफलिस का भगवान नही है ।
कदम कदम दुशवार है लेकिन
रुकने का इमकान नही है ।
दीवानों की बात न पूछो
सेहरा भी वीरान नही है ।
अर्जे तमन्ना पर ये आलम
चेहरे पर मुस्कान नही है ।
वाह रे मुहब्बत मद्यम मद्यम
हलचल है तूफ़ान नही है।
लाख इबादत करून मैं "राही"
सज़दों पर अभिमान नही है ।
- - - डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेल "राही"
1 comment:
bahut badiya likha haa...........
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