Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

30.4.09

अंधेरे .......

ये अंधेरे ही तो मेरे अपने हैं
इनमें ही मेरी जिन्दगी के सपने हैं
लोग कहते हैं रात मैं होते हैं अंधेरे
जरा अपनी गहराई मैं जाकर देखो
तुम पाओगे अंधेरे
जब भी दिल बुझ जाता है तो होते हैं अंधेरे
वक्त बुरा आने पर
साथ छोड़ देते हैं उजाले
इन्हें अपना कर देखो
हमेशा तुम्हे गले से लगायेंगे अंधेरे .......

No comments: