* नियम और शर्ते लागू
राजनीति के बाजार में आजकल नए - नए प्रोडक्ट सामने आ रहे है. मतदाताओं को उपभोक्ता समझ कर राजनीतिक पार्टियाँ लुभावने नारों के साथ मनभावन योजनायें भी पेश कर रही है. कांग्रेस कह रही है कि हमको वोट करोगे तो तीन रुपये किलो अनाज देंगे........वहीँ बीजेपी के पीएम इन वेटिंग लालकृष्ण अडवाणी तो देश भर के मोबाइल उपभोक्ताओं को एसएमएस करके शपथ ले रहे हैं कि अब हर लाडली लक्ष्मी होगी.......बस वोट हमको देना.
देश के इस आम चुनाव में राजनीतिक पार्टियों ने चुनाव प्रचार के लिए मल्टी नेशनल कंपनियों जैसा तौर-तरीका अपनाया है लेकिन वे अपनी लोक-लुभावन योजनाओं का प्रचार करते समय -" नियम और शर्ते लागू " लिखना भूल गयी है.अमूमन कारपोरेट घराने अपने प्रोडक्ट का विज्ञापन करते समय जब कोई योजना सामने लाते है तो उसमे स्टार ( * ) लगाकर " नियम और शर्ते लागू " लिखना कभी नहीं भूलते. दरअसल योजना बताई कुछ और जाती है लेकिन उसके भीतर का सच कुछ और होता है.
ऐसा ही कुछ कांग्रेस और बीजेपी की योजनाओं में भी छिपा है. न तो कांग्रेस सत्ता में वापस लौटने पर देश के हर गरीब को तीन रुपये किलो अनाज दे सकती है और न ही बीजेपी के पीएम इन वेटिंग लालकृष्ण अडवाणी देश की हर लड़की को एक लाख का चेक देकर लाडली लक्ष्मी बना सकते है.चुनाव जीतने के तत्काल बाद ही ये दल गिरगिट की तरह रंग बदल लेंगे और उपभोक्ता बाजार की तरह इनकी योजनाओं में भी " नियम और शर्ते लागू " हो जाएँगी.सरकार बनाने के बाद कांग्रेसी कहेंगे कि लाल, पीले, नीले राशन कार्ड वालों को ही तीन रुपये किलो अनाज मिलेगा. अब बेचारा गरीब आदमी ऐसे कार्ड बनवाने के लिए ही भटकता रहेगा.बीजेपी की लाडली लक्ष्मी योजना फ़िलहाल मध्य प्रदेश में चल रही है लेकिन इसमें भी एक फंडा है कि जो इंकम टैक्स चुकाता है उसे इस योजना का लाभ नहीं मिलेगा.कुछ ऐसी ही शर्त अडवाणी जी भी लगा देंगे.
नेताओं के भाषण, रैली और क्रियाकलापों पर नुक्ताचीनी करने वाले निर्वाचन आयोग को ये भी देखना चाहिए कि राजनीतिक दल और उसके नेता मतदाताओं को अपनी गलत या आधी-अधूरी लोक-लुभावन योजनाओं से प्रभावित करने की कोशिश न करें.राजनीतिक दलों को यदि अपने पोलिटिकल प्रोडक्ट में कुछ छिपाना भी है तो कृपया " नियम और शर्ते लागू " जरूर लिखे.ताकि मतदाता भ्रमित न हो और अपने लिए सही पोलिटिकल प्रोडक्ट का चयन करके वोट करे.
10.4.09
* नियम और शर्ते लागू
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