मानी बात है इस स्तिथि में सच्चाई जानने के लिए जो न्यायिक प्रक्रिया अपेक्षित थी ,उसे ही धर्मंधो ने बाधित कर किया और कानून ,संविधान और मानवाधिकारो की खुलेआम धज्जिया उडाई गई। लगभग सभी रास्तो बंद लगने लगे और देश का पूरा तंत्र फिरकापरस्त ताकतों का गुलाम दिखने लगा । कहने का मतलब यह नही की किसी विशेष समुदाय विशेष के लोग पूरी से तरह दोषी है या निर्दोष है। आशय यह है की प्रशाशन व राजनीति के सभी तौर तरीके सांप्रदायिक ताकतों की मुट्ठी में बंधे प्रतीत होने लगने से पूरी प्रशासनिक न्यायिक प्रक्रिया अपनी विश्वसनीयता खो बैठी और देश साजिशों का एक जंगल मालूम होने लगा मालेगाव की जांच पड़ताल ने पूरी स्तिथि को आश्चर्यजनक रूप से पलटकर रख दिया है और अब आतंकवाद की भारतीय तस्वीर अंतर्राष्टीय सम्बन्ध उजागर होना बाकि है, कुछ साफ़ होती लग रही है । जो सांप्रदायिक खेल देश के साथ खेला जा रहा था, जिस खतरनाक रस्ते से हिंदुत्व के एजेंडा को पूरा किया जा रहा था और देश प्रेम का जो ढकोसला रचकर देश के अमन -चैन को लूटा जा रहा था वह कुछ कुछ साफ होता दिख रहा है । बम बनाने की ट्रेनिंग,खतरनाक विस्फ़ोटो की आमद ,I.S.I से पैसे लेकर देश को विखण्डित करने, धार्मिक विद्वेष फैलाने और मासूम जनता के खून की होली खेलने में कौन से तत्व शामिल रहे है, यह कुछ कुछ नज़र आ रहा है । चीखते गलों से देशप्रेम के नारे लगाते हुए जनता की हत्या करने और उन्हें धर्मांध हिंसा के लिए भड़काने वाले इन देशभक्तों पर देशद्रोह का मुकदमा कब चलेगा,इसका इंतजार आज पूरे देश की जनता को है ।
डॉक्टर रूप रेखा वर्मा
लेखिका लखनऊ विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति है ।
पुस्तक आतंकवाद का सच में प्रकाशित ॥
(समाप्त)
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