पता नहीं क्यूँ उसके वादे पर करार रहा
वो झूठा था पर उसपे मुझे ऐतबार रहा !!
दिन-भर मेहनत ने मुझे दम ना लेने दिया
और फिर रात भर दर्द मुझसे बेहाल रहा !!
अजीब यह कि जो खेलता था,अमीर था
और जो मेहनत-कश था,वो बदहाल रहा !!
सच मुहँ छुपाये कचहरी में खडा रहता था
झूठ अन्दर-बाहर सब जगह वाचाल रहा !!
कई बार सोचा कि मैं ही अपना मुहं खोलूं
और लोगों की तरह मैं भी हलकान रहा !!
14.4.09
औरों की तरह मैं भी हलकान रहा....!!
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1 comment:
huzoor ab waqt halkaan hone kaa nahin rahaa varan chunaavi mahaa parv main doosron ko halkaan karne kaa hai .varnaa bandaanavaaz aur agle 5saalon tak halkaan hote reh jaaoge.kyon theek hai naa theek
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