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10.4.09

जूता भी आवाज हो गया/प्रसन्न वदन चतुर्वेदी

ये देखो क्या आज हो गया।
जूता भी आवाज हो गया ।
टाइटलर, सज्जन पर देखो ,
गिरने वाली गाज हो गया ।
दोनों की तो बज गई यारों ,
जरनैल का ये साज हो गया ।
न्याय तंत्र को कोस रहे हैं ,
जूतों पर ही नाज़ हो गया ।
नेताओं तुम सुधरो वरना ,
प्रचलित ये अंदाज हो गया ।



1 comment:

शिखा शुक्ला said...

sahi kaha hai bandhu.jaise ko taisa.sadhuvad