Loksangharsha: दक्षिण एशिया -भयंकर साम्राज्यवादी तूफ़ान की चपेट में-4
दक्षिण एशिया -भयंकर साम्राज्यवादी तूफ़ान की चपेट में-4
लेखिका -निलोफर भागवत ,उपाध्यक्ष, इंडियन एसोसिएशन ऑफ़
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अनुवादक -मोहम्मद एहरार , मो .न. 09451969854
प्रस्तुतकर्ता- अमर प्रताप सिंह
अनुवादक -मोहम्मद एहरार , मो .न. 09451969854
प्रस्तुतकर्ता- अमर प्रताप सिंह
संवैधानिक रूप से उद्योगपतियों एवं कंपनियों को किसी भी प्रजातंत्र में स्वतन्त्र रूप में कार्य करने का अधिकार नही है , परन्तु वास्तु स्तिथि भारत में बिल्कुल भिन्न है । ऐसे समय में जबकि राजनैतिक वातावरण बहुत स्थिर नही कहा जा सकता , उद्योगपतियों एवं प्राइवेट बिज़नेस घरानों ने भारत को पूरी तरह से अपने शिकंजे में ले लिया है । हजारो एकड़ खेतिहर जमीन सरकार के द्वारा विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (s .e. z.) के नाम पर अधिग्रहित कर ली गई है । इस जमीन को सरकार प्राइवेट कंपनियों जिनमें भारतीय और विदेशी दोनों शामिल है , को दे रही है। ये प्राइवेट कंपनिया इससे उत्पादन कम कर रही है और मुनाफाखोरी ज्यादा कर रही है। कंपनियों की इस नई जमींदारी व्यवस्था उन राज्यों में ज्यादा कामयाब है जहाँ कानून का शासन या तो कमजोर है या कानून को ताक पर रखा जा रहा है ।
भारत में छत्तीसगढ़ राज्य में विशाल कबाइली आबादी है। छत्तीसगढ़ के विकास के लिए तथाकथित 'भविष्य योजना ' की रूपरेखा u.s.a की मल्टीनेशनल कंपनी 'प्राइस वाटर हाउस कूपर ' के द्वारा बनाई गई है ।यह कम्पनी स्वयं अमेरिका में फर्जी आडिट के लिए बदनाम है एवं इस की वहां जांच चल रही है । पूर्वी एवं केन्द्रीय भारत में हजारो आदिवासीयों खेतिहर मजदूरों व गरीब किसानो को तथाकथित उग्रवादी राजनैतिक गतिविधियों के लिए एवं 'सलवा जुडूम 'का विरोध करने के लिए गिरफ्तार किया गया है फिर 'सलवा जुडूम ' एक शशस्त्र नागरिक संगठन है जिसको सरकार के द्वारा उद्योगपतियों एवं कंपनियों के आर्थिक हितों की रक्षा करने के लिए गठित किया गया है आदिवासी एवं ग़रीब किसान भारतीय एवं विदेशी कंपनियों की उन गतिविधियों का विरोध कर रहे जिसके द्वारा उन्होंने गरीब एवं ग्रामीण जनता एवं आदिवासीयों की ज़मीन पानी एवं अन्य संसाधनों पर कब्जा कर लिया है। इन आदिवासीयों एवं गरीबों के पास अन्य कोई वैकल्पिक जीवकोपार्जन की व्यवस्था नही है । हैदराबाद की सत्यम कम्पनी केC.e.O के द्वारा करोडो का घोटाला प्रकाश में आने के बाद यह भी स्पष्ट हुआ है कि C.e.O एवं उनके परिवार वालो ने हाजारो एकड़ खेतिहर जमीन एवं अन्य अंचल संपत्ति आन्ध्र प्रदेश में प्राप्त कर ली है । यह जमीन भी गरीबों और आदिवासीयों की है ज्ञातव्य हो की इस पब्लिक सेक्टर कम्पनी की आडिट भी इसी बदनाम कम्पनी 'प्राइस वाटर हाउस कूपर ' के द्वारा किया गया था ।
इस परिवेश में रिचर्ड हाल ब्रुक को अमेरिका द्वारा दक्षिण एशिया के मुल्को का विशिष्ट दल बना कर भेजा गया है। यह वही रिचर्ड हॉल ब्रुक है जिनके राजनयिक नेतृत्व में अमेरिकी मार्गदर्शित "नाटो " सेनाओ ने पूर्व यूगोस्लाविया का विभाजन किया था । इनकी नीति यह रही है कि ये लोग एक धार्मिक समूह को बरगला कर दूसरे धार्मिक समूह के खिलाफ इस्तेमाल करते रहे है बोस्निया और युगोस्लाविया के बहुत से क्षेत्रिय नेताओं को एक दूसरे के खिलाफ इस्तेमाल किया गया जिसके कारण युगोस्लाविया में विभिन्न समूहों में खानाजंगी हुई एवं अन्तोगोत्वा उसका बटवारा हो गया दक्षिण एशिया की कुलीन तंत्र सरकारें इस बात से पूरी तरह गूंगी बहरी एवं अंधी है की वे अपने क्षणिक व्यक्तिगत स्वार्थ की पूर्ति के लिए अपने ही मुल्को के खिलाफ साजिश कर रही है।
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