(एक)
मां !
क्या सूख गया है ?
तुम्हारे स्तनों का दूध
तुम्हारी आँखों का पानी
या तुम्हारी ममता
जो -
संकट के बादल घिर आये हैं !
(दो)
मां !
क्या नहीं है ?
वह झूला
वह रातें, वे परियां
या वह लोरी
जो, आखों से उड़ गयी है नींद ...!
(तीन)
मां !
यहाँ क्या छूटा है ?
बचपन, जीवन
कलियाँ, मधुवन
या मैं, या तुम
या समय
(चार)
मां !
मैं तुम्हारे पेट मैं रहा
या तुम मेरे पेट में हो
तुमने मुझे जन्म दिया
या मैं तुम्हें दाग देने वाला हूँ
- आशेन्द्र
8.5.09
'मां' चार कवितायें
Labels: मेरी चार कवितायें
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2 comments:
charon kavitayen achhi han..badhai
keep it up
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