विनय बिहारी सिंह
रामकृष्ण परमहंस कहा करते थे कि शुद्ध हृदय हो तो ईश्वर के होने का पल- पल अहसास होता है। लेकिन अगर हृदय अशुद्ध है तो यकीन ही नहीं होता कि ईश्वर है। एक बार एक संत कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर निकले थे। उन दिनों वहां जाने के लिए वीसा या स्वास्थ्य प्रमाण पत्र की जरूरत नहीं पड़ती थी। रास्ते में एक व्यक्ति ने पूछा- महाराज, ईश्वर तो आपके दिल में रहता है। फिर आप कैलाश मानसरोवर क्यों जा रहे हैं? तब संत ने जवाब दिया- हवा तो हर जगह है, फिर लोग पंखा क्यों झलते हैं? वह आदमी समझ गया। कुछ खास जगहों पर ईश्वर का स्पंदन बहुत ज्यादा होता है। अगर कोई ग्रहणशील व्यक्ति हो तो वह ईश्वर की गहरी अनुभूति कर सकता है।
1 comment:
gagar me sagar
BHAI...........KHOOB BADHAI
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