एखनो विनिद्र रजनी जागिया
सजनी जाले आधारे आलो
एखनो देखिनी प्रभात सुदिन
तबुओ स्वप्न साजाइ भालो
आशार तरीटी भाषाये सागरे
ऐ कूल भेंगे ओ कुल गड़ी
स्तिमित आलोर प्रदीप जालाये
दियेछि जीवन सिन्धु पाड़ी
-उत्तम शर्मा
संयोजक- भारतीय इन्साफ मोर्चा
मूल कविता बंगला भाषा में
9.5.09
Loksangharsha: नतुन स्वप्न
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