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15.5.09

जहर बोने वाले इन ई-मेलों से सावधान रहिए


उपरोक्त आर्टिकल मुझे एक संपादक दोस्त ने भेजा। पढ़ता गया तो लगा कि आर्टिकल है मजेदार लेकिन सोचा कि यह किस अखबार में छपा है और किस संस्था ने शोध किया है, यह जाना जाए, यह जानकारी इस आर्टिकल में कहीं नहीं मिली। मैंने जब गूगल पर उपरोक्त आर्टिकल की हेडिंग डालकर सर्च किया तो जो नतीजे आए, उसे पढ़ने के बाद पूरा माजरा समझ में आया। एक अमेरिकन इंटरटेनमेंट टैबलायड वीकली वर्ल्ड न्यूज के गासिप सेक्शन में इस तरह के आर्टिकल पब्लिश किए जाते रहे हैं और याहू इस टैबलायड के कंटेंट को आनलाइन पब्लिश करता है। बस, किसी ने इस आर्टिकल को सच्ची खबर बताकर मेल के जरिए प्रचारित करना शुरू किया और देखते ही देखते यह आर्टिकल सुपरहिट मेल कंटेंट में शुमार किया जाने लगा है।

काम में कमजोर लोगों को समझदारों के लिए जान का खतरा बताना आधुनिक कारपोरेट प्रबंधन और माडर्न प्रोफेशनलिज्म की खतरनाक सोच है। यह सोच न सिर्फ मनुष्यता विरोधी है बल्कि किसी अच्छे समाज की संरचना के बुनियादी आधार को भी नष्ट करती है। अंतहीन होड़, अंतहीन काम, अंतहीन मेहनत.....इन पैमानों पर अगर कोई किसी कंपनी के लिए अच्छा हो तो अच्छा, और जो इन पैमानों के हिसाब से फिट न बैठे तो बुरा? फिर तो इन पैमानों पर गांधी, अंबेडकर, भगत सिंह सभी फिट नहीं बैठते क्योंकि ये किसी कंपनी में काम नहीं करते थे।

आज सूचनाओं का दौर है लेकिन जहरीली सूचनाएं किस तरह हमारे आपके भोले भाले दिमाग को बददिमाग में बदल देती हैं, पता ही नहीं चलता।

उपरोक्त आर्टिकल की सच्चाई जानने के लिए इस पर क्लिक करें.....फाल्स


1 comment:

Unknown said...

eise hi logon ko sachet karte rahiye........badhai