अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा...
हर तरफ दहशत है सन्नाटा हैजबाँ के नाम पर कौम को बाँटा हैअपनी अना कि खातिर इसने मुद्दत सेमासूमो को कमजोरो को कटा हैतुम्हे तो राज हमारे सरो से मिलता हैहमारे वोट हमारे जरों से मिलता हैकिसान कह के हकारत से देखने वालेतुम्हे अनाज तो हमारे घरों से मिलता हैहमारा देश करप्शन की लौ में जलता हैधर्म हर रोज नया एक-एक निकलता है,पुलिस गरीब को जेलों में डाल देती है,मुजरिमे वक्त तो हाकिम के साथ चलता हैतुम्हारे अज्म में नफरत की बू आती हैनज्मों नसक से दूर वहशत की बू आती है,हाकिमे वक्त तेरी तलवार की फ़ल्यों सेकिसी मज़लूम के खून की बू आती हैतारिक कासमीउन्नाव जिला कारागार से
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