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25.4.10

आओ अंगुली करें....

(उपदेश सक्सेना)
मानव शरीर में अंगुली एक ऐसा अंग है, जिसके सनातन काल से बहुआयामी उपयोग होते आये हैं.गुरु द्रोणाचार्य ने अपने शिष्य एकलव्य का अंगूठा इस बात के लिए मांग लिया था कि कहीं वह धनुर्विद्या में उनके प्रिय शिष्य अर्जुन को परास्त न कर दे. एक अंगुली पर ही श्रीकृष्ण ने पूरा पर्वत उठाकर गाँव वालों की रक्षा की थी. अंगुली अंग के रूप में एक ऐसा हथियार है जिसका क्रिया रूप हमेशा “करना” होता है, इसका उपयोग नाक-कान-आँख और कभी कभी मुंह में किया जाता है, यह उपयोग इन अंगों की सफाई के लिए किया जाता है अंगुली कलम पकड़ने के काम आती है तो तलवार को थामने में भी यही मज़बूती देती है.अंगुली की एक जुम्बिश कई तरह के काम कर जाती है. अब ज़माना आईपीएल का है सो यहाँ भी इसकी उपयोगिता है.ललित मोदी, शरद पवार,प्रफुल्ल पटेल, सुनंदा पुष्कर, जैसे कई नामों को अब अंगुली का महत्व समझ आ गया है. कोई ललित मोदी को अंगुली की क्रिया से परेशान कर रहा है तो किसी की अंगुली ने शशि थरूर को “बेकार” कर दिया. मैदान में अम्पायर की अंगुली से खिलाड़ी परेशान रहते हैं, खिलाड़ी इस बात से चिंतित रहते हैं कि अम्पायर अंगुली न उठा दे.वहीँ सरकारों को विपक्षी अंगुली की चिंता सताती रहती है. ऐसे समय में जब सारी अंगुलियां कहीं न कहीं व्यस्त हों तो अंगूठे की डिमांड बढ़ना स्वाभाविक है. “दोनों अंगूठे चलाने” की प्रेरणा देकर टीवी पर क्रिकेट का एक अन्य खेल चल रहा है. अंगुली क्रिकेट नाम के इस खेल के प्रायोजकों को शायद इस खेल के लिए शरीर के किसी अन्य अंग का नाम नहीं सूझा, लेकिन इस नादानी में भी क्रिकेट-अंगुली के बीच नया तालमेल सामने आया है. राजनीति में अंगुली का बड़ा महात्म्य है. इसके जरिये जहाँ समर्थकों को काबू में किया जाता है वहीँ विरोधियों को अंगुली करके परेशान किया जाता है. विवाहित पुरुषों को इस बात का भली प्रकार से इल्म होगा कि उनकी पत्नी उन्हें कैसे अँगुलियों पर नचाती हैं. अंगुली का शरीर में महत्त्व इसी बात से पता चल जाता है कि अंगुली विहीन लोग अक्सर भीख मांगते दिखाई पड़ जाते हैं.अंगूठा यदि ऊपर की ओर करके प्रदर्शित किया जाए तो वह विजय की कामना का प्रतीक होता है, यदि उसकी दिशा नीचे हो तो वह हार की निशानी मानी जाती है. अंगुली करना हमारा जन्मसिद्ध और मौलिक अधिकार है, इसके लिए कहीं कोचिंग लेने या डिग्री की ज़रूरत भी नहीं होती, यह मानव संस्कारों में पैदायशी गुण होता है. फ़िल्मी सितारों से राजनीतिज्ञ बने कई बड़े लोगों को अपने भोपाल प्रवास के दौरान “अंगुली” की महिमा भोपाली लोग समझा चुके हैं. तो आइये, इस राष्ट्रवादी अंगुली यज्ञ में आप-हम भी “कुछ करके’ अपनी आहुति दें, आओ राष्ट्र निर्माण के लिए अंगुली करे.

1 comment:

चैन सिंह शेखावत said...

अच्छी चिकौटी काटी है जनाब ने.बहुत खूब