अश्को के सागर में, अश्को को बहाकर क्या होगा,
बहाना ही तों अश्क सहरा में बहाओ, कम से कम कमबख्त रेत का रुख तो कुछ नम होगा...
बहाना ही तों अश्क सहरा में बहाओ, कम से कम कमबख्त रेत का रुख तो कुछ नम होगा...
-हिमांशु डबराल
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अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा...
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