(उपदेश सक्सेना)
नंगे-भूखे भारत का दूसरा चेहरा भले ही लकदक और चमकीला हो, ज़मीनी हकीक़त यह है कि आज भी १५ फ़ीसदी लोग रात में भूखे सोकर उस कहावत को झुठलाते हैं कि "ऊपर वाला भूखा उठाता ज़रूर है, भूखा सुलाता नहीं है". दरिद्रता का यह वीभत्स चेहरा कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत को एकता के सूत्र में पिरोये हुए है. कश्मीर विवाद के लंबित हल की तरह सरकारें नहीं चाहतीं कि यह वर्ग बराबरी की रेस में शामिल हो. इन गरीबों का मज़ाक उड़ाने का कोई मौक़ा भी सरकारें छोड़ना नहीं चाहतीं. अब एक बार फिर इन गरीबों के पेट के साथ सरकारी मज़ाक हो रहा है....खुले आम....सबकी आँखों के सामने, मगर कोई बोलना नहीं चाहता.
केंद्र ने इस बात पर आम सहमति बनने के पूर्व ही, कि देश में कुल कितने लोग गरीबी की रेखा के नीचे जीवन यापन करते हैं, बीपीएल परिवारों के लिए राजीव गांधी ग्रामीण गैस वितरक योजना को अमलीजामा पहना दिया. पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री असीमसेन गुप्ता कि अगुवाई वाली कमेटी ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि ८४ करोड़ की आबादी की रोजाना महज़ २० रुपये की कमाई होती है. यह आंकड़ा भयावह है, केवल आप-हम के लिए, सरकार के लिए यह कोई चिंता वाली बात नहीं है, तभी तो सरकार ने गैस योजना शुरू की है. जिन गरीबों के घरों में खाने को दाने नहीं हैं वे गैस के सिलेंडरों का क्या करेंगे यह इस योजना के रणनीतिकारों ने नहीं सोचा. सरकार गरीबों को ३५ किलो अनाज हर महीने देने का वादा कर रही है, मगर यह उन तक पहुंचा या नहीं इस बात की मानिटरिंग का समूचा तंत्र (?) ध्वस्त है. यह बात अधिकारी भी स्वीकार रहे हैं कि इन गरीब परिवारों को कम कीमत पर गैस सिलेंडर तो उपलब्ध करवा दिए जायेंगे मगर वे उस पर पकाएंगे क्या? वे यह भी आशंका जताते हैं कि इस योजना से गैस की कालाबाजारी को बढ़ावा मिलेगा. दो जून की रोटी के अभाव में गरीब खाली गैस का क्या उपयोग करेगा? स्वयं योजना आयोग भी अपने आंकड़ों में यह मान चुका है कि गरीबों की प्राथमिक ज़रूरत रोज़गार-रोटी की है, अब जब सरकार हवा में काम कर रही हो, उसकी स्थिरता हवा में हो, सबसे ज्यादा 'उद्दंड' मंत्री (जयराम रमेश) के जिम्मे हवा मंत्रालय हो, सरकारी आदेशों को हवा में उड़ाया जाता हो, माहौल में हवा खराब हो, गरीबों का भोजन हवा बन गया हो ऐसे में यदि सरकार इन गरीबों को और हवा (गैस) देने पर उतारू है तो कोई क्या करे?, बस ध्यान इस बात का रखना होगा कि ज्यादा हवा कहीं पेट खराब ना कर दे.
1 comment:
ye to sacchai h bhai
sab apni dhun me pade h
dhanyawaad
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