हिंदी सिनेमा का इतिहास-8
राजेश त्रिपाठी
पुराने जमाने में फिल्मों के प्रमुख कलाकारों के चयन के वक्त इस बात का ध्यान रखा जाता था कि वह घुड़सवारी, तैरना, गाना और कार चलाना अच्छी तरह से जानता हो। क्योंकि शुरू-शुरू में न तो खतरनाक दृश्यों के लिए ‘डमी’ या स्टंट आर्टिस्ट की व्यवस्था थी और न ही पार्श्व गायक-गायिका की। मारधाड़ और घुड़सवारी के दृश्यों में खुद हीरो को जोखिम उठाना पड़ता था। तब फाइट कंपोजर भी नहीं थे। मारपीट और घुड़सवारी के दृश्य हीरो फिल्म के निर्देशक के निर्देशानुसार करते थे। ऐसे दृश्यों में वे चोट भी खा जाते थे। फिल्म ‘शबिस्तान’ की शूटिंग के दौरान तो उस जमाने के सुपरस्टार श्याम घोड़े से गिर कर अपनी जान ही गंवा बैठे थे।
उस जमाने की सबसे महंगी अभिनेत्री सागर मूवीटोन की सविता देवी थीं, जिन्हें चार हजार रुपये मासिक वेतन मिलता था। नायकों में सर्वाधिक वेतन पानेवाले थे उस जमाने के लोकप्रिय अभिनेता मोतीलाल, उन्हें ढाई हजार रुपये मासिक वेतन के रूप में मिलते थे। फिल्मी कलाकारों से मिलने के लियए उस जमाने में भी लोग लालायित रहते थे।
आजकल हिट फिल्मी जोड़ियों की धूम है लेकिन उस समय भी ऐसी जोड़ियों की कमी नहीं थी। गायिका-अभिनेत्री बिब्बो और मास्टर निसार के गाने सुनने के लिए लोग उनकी फिल्में बार-बार देखते थे। सुरेंद्र-बिब्बो की जोड़ी भी खूब चली थी। इनकी हिट फिल्में थीं-रंगीला राजपूत, मायाजाल, सैरे परिस्तान, जागीरदार, मनमोहन,डायनामाइट, लेडीज ओनली, ग्रामोफोन सिंगर और सेवा समाज आदि। 1942 तक यह जोड़ी खूब चली थी। लीला चिटणीस और अशोक कुमार की जोड़ी हिट सामाजिक फिल्मों की पर्याय मानी जाती थी। ‘झूला’, ‘कंगन’, ‘बंधन’ इस जोड़ी की बेहतरीन फिल्में थीं। ‘मदर इंडिया’, ‘महामाया’, ‘सहेली’, ‘डार्लिंग डाटर’ आदि फिल्मों की प्रमिला और कुमार की जोड़ी 1937 से 1939 तक खूब चली थी। अभिनेत्री नंदा के पिता मास्टर विनायक भी जवानी में फिल्मों में नायक हुआ करते थे। 1938 के आसपास उनकी जोड़ी मीनाक्षी के साथ बनी। मीनाक्षी बहुत खूबसूरत थी। उसका असली नाम रतन शिरोड़कर था। मीनाक्षी की पहली फिल्म थी ‘ब्रह्मचारी’ जिसमें उसने स्वीमिंग कास्ट्यूम पहना था। उसके इस रूप को देखने के लिए दर्शकों ने ‘ब्रह्मचारी’ फिल्म बार-बार देखी थी। यही नहीं उसने फिल्म में दो चोटियां कीं, तो सारे देश में दो चोटियों का रिवाज चल गया। इस जोड़ी की हिट फिल्में थीं-‘ब्रांडी की बोतल’, ‘अमृत’, ‘संगम’, ‘मेरी अमानत’ , ‘पन्ना दाई’, ‘देवता’, ‘बड़ी मां’, ‘सुभद्रा’ आदि। (आगे पढ़ें)
14.4.10
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