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3.4.10

ना जाना उस देस मेरी लाडो........

(उपदेश सक्सेना)
भारत की टेनिस स्टार सानिया मिर्ज़ा की पाकिस्तानी क्रिकेटर शोएब मालिक के साथ शादी तय हो जाने से भारत में बहुत से लोगों का पेट दुखने लगा है. इस शादी की बात उजागर हो जाने के तुरंत सक्रिय हुए मीडिया ने हैदराबाद की आयशा सिद्दीकी को खोज निकला. आयशा का दावा है कि उसका कुछ साल पहले शोएब से निकाह हो चुका है. माहौल में काफी गर्मी है, उससे भी ज्यादा जब सानिया टेनिस कोर्ट पर खेल रही होती हैं. इसी बीच एक नई बहस छिड़ गई है कि शादी के बाद सानिया को पकिस्तान की ओर से खेलना चाहिए या शोएब को भारत की ओर से क्रिकेट खेलना चाहिए. कुछ 'बुद्धिजीवी' इस शादी को भारत-पकिस्तान के बीच सम्बन्ध सुधरने का संकेत बता रहे हैं.जितने मुंह उतनी बातें.हर कोई बेगानी शादी में अब्दुल्ला बनने की होड़ में है. सानिया के बहाने जितने लोग आज भारत के प्रति प्रेम दर्शा रहे है-देशप्रेमी हुए जा रहे हैं यदि यह एकता सामान्य परिस्थिति में दर्शाई जाए तो पकिस्तान नापाक ना रहे. सानिया को भारत की शांति दूत की संज्ञा दी जा रही है, उनके हैदराबाद स्थित घर के बाहर झाड़ियों में नामचीन न्यूज़ चैनलों के पत्रकार अपने कैमरों के साथ एक्सक्लुसिव फोटो लेने के लिए छिपे पड़े हैं.
लगभग एक दशक से भारतीय मीडिया नामचीन लोगों के घरेलू कार्यक्रमों में ज्यादा रूचि दिखा रहा है. इसके पीछे इन चैनलों के व्यावसायिक हित हो सकते हैं, मगर आम जनता को इससे ज्यादा सरोकार नहीं होता. अब नई शादी सर पर है तो मीडिया की सक्रियता भी बढ़ गई है. फ़ोकट समय जाया करने वालों के लिए ऐसे मुद्दे बहस का विषय यह जानकर भी हो सकते हैं कि इस बहस का कोई मतलब नहीं है. शादी यदि होना होगी तो होकर रहेगी, और नहीं होना हुई तो कोई ताकत नया रिश्ता नहीं जोड़ सकेगी. मैंने पहले की अपनी कुछ पोस्ट में इस बात का उल्लेख किया है कि मीडिया अब मिशन की जगह सेंसेशन की राह पकड़ चुका है, पत्रकार को नारद की भूमिका में होना चाहियें मगर इसका उद्देश्य समाज सुधार हो. अब लाडो (सानिया) उस देस जाए या नहीं, इसका फैसला तो कम से कम उनके परिवारों को ही करने दें.

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