महानगर की मीडिया की गलियों मैं इन दिनों एक खबर चर्चा का विषय बनी हुई है। खबर कुछ इस तरह से प्रकाश मैं आये है। बताया जाता है। की विगत दिनों महानगर के दैनिक समाचार पत्र परिवार टुडे के २ वर्कर की एक्सीडेंट मैं मोत हो गई थी। बताया जाता है की दुर्घटना के बाद दोनों लोगों को अस्पताल ले जाया गया। जब परिवार टुडे के मैनेजमेंट को इसका पता चला तो एजीअम अब्बास और संपादक इन्दोरिया तुरंत अस्पताल पहुँच गए और घायलों की जान बचाने के प्रयास मैं लग गए। वही परिवार टुडे के प्रधान संपादक जो की उस दिन चेन्नई मैं थे वो भी थोड़ी थोड़ी देर बाद घायलों का हल पूँछ रहे थे और दोनों को बचाने की हर संभव कोशिश करने के निर्देश देते रहे । चिलचिलाती धुप और उमस की गर्मी मैं हरसंभव कोशिश इन लोगों ने की। लेकिन होनी को तो कुछ और ही मंजूर था और दोनों कुछ देर बाद मृत हो गए। जिस समय घायलों का इलाज चल रहा था उस समय परिवार टुडे पेपर के सम्पादकीय मार्केटिंग डीटीपी प्रसार विभाग के २ सेकड़ा लोग वहा उपस्थित थे।
खबर तो यह भी है की एजीअम अब्बास के तो रोजे भी चल रहे थे। लेकिन उन्होंने जिस तरह से काम किया वो काबिले तारीफ़ है। बताया जाता है की मृतकों के इलाज से लेके पीऐम और फिर उनके शवों को उनके घर पहुँचाने से लेकर दह संस्कार करने तक की वयस्था इस अखबार के मैनेजमेंट ने की वह अखबारी दुनिया के उन कथित धन्ना सेठ ठेकेदार अखबार मालिकों के लिए एक नजीर है की वो भी इस नवोदित अखबार के मैनेजमेंट से अपने वर्कर से किस तरह बर्ताब किया जाता है यह सीखे।
चूंकि खबर तो खबर होती है। लेकिन अगर ये खबर सच है तो मुझे यह कहने मैं जरा भी संकोच नहीं की काश अखबारों के सभी मैनेजमेंट ऐसे ही हो जाएँ।
इस मैनेजमेंट को मेरा सलाम.
1.9.10
काश! सभी मैनेजमेंट ऐसे हो जाएँ.
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2 comments:
aapane shi likhaa men bhi khuda se yhi duaa krunga ke desh men hi nhin vishv bhr men sbhi menejment ke log aese hi ho jayen. akhtar khan akela ktoa rajsthan
apne karmchriyo ke liye itna agr har akhbar bala kre to kya baat he parivar today ke malik jese or bhi ho jae ese malik k0 salam
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