मेरे फिक्रमंद
पूछते हैं मुझसे
कभी कभी
कि
क्यों है दर्द भरा
इतना
मेरी रचनाओं में...?
उन्हें मैं
कैसे समझाऊं?
कि
दर्द
मेरी रचनाओं में नहीं
मुझमे
मेरे अंदर भरा है
जो छलककर
आ जाता है
मेरी कृतियों में
हां यही सच है
सिर्फ यही...!
अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा...
3 comments:
jo he mere dil ke andar racha bsa vahi meri kritiyon me jakr utara.
sach kaha.
किसी भी रचना को लिखने के लिए हर तरह के एहसास को लाना लाज़मी है दोस्त !
सुदर एहसास !
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