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14.12.10

आखिर कब तक सहूंगी......

सन्दर्भ है सब से अधिक दिल दहला देने वाली खबर का देहरादून में ग्यारह साल पहले प्रेम विवाह कर एक साफ्टवेयर इंजीनियर ने अपनी पत्नी का कत्ल कर उसकी लाश के टूकडे कर फ्रीजर में रख,एक -एक कर वह इन टुकड़ों को ठिकाने भी लगाता रहा सभी टी-वी चैनलो पर अखबारों में इसी घटना का प्रमुखता से इसके हर पहलु  पर  प्रकाश डाला गया है । लोगो के मुहं सील गये कहे तो क्या  कहे वह इन्सान तो हो ही नही सकता जिसने भी इस तरह का कृत्य किया । घरेलू हिसां का इससे भयानक ,बडा उदाहरण शायद ही अन्य हो ?
इन्सानी रिश्तों में पनप चुकी हिंसा किस कदर व्यापक हो गयी है उसे जानने के लिए आज की तारीख में इससे ज्यादा बडा उदाहरण हो ही नही सकता । किस तरह आज के दौर में रिश्ते नापाक हो गये है इन्सान इन्सान नही बहशी जानवर बन चुके है ।घरेलू हिंसा से सम्बन्धित आलेख सीरीज" आखिर कब तक सहूंगी"....... ( http://ultateer.blogspot.com , http://swastikachunmun.blogspot.com ) में  मैने घरेलू हिंसा  के बारे में बहुत कुछ लिखा । आज इस तरह की घटना घटित होने के बाद कितने ही प्रश्न उठे है?
जब पति पत्नी के रिश्तों में हिसां की पहली बार हिंसा  की घटना हो तभी सचेत हो जाना चाहिए यदि तमाम कोशिशें के बाद भी यह रिश्ते नही चल पाते तो साथ रहने का कई मतलब होना ही नही चाहिए क्योंकि जब मन में एक दूसरे के सम्मान की भावना न हो तो किसी भी रिश्ते का कई औचित्य  नही ?यह एक सबक भी है उन माता -पिता के लिए भी जिनके बच्चों के साथ इस तरह की घटना हो विवाह उपरान्त लडकी खोज-खबर उसके परिवारजनो  को अवश्य रख्ननी  चाहिए चाहे वह प्रेम विवाह ही क्यों न करे उनकी नराजगी अन्त में इस तरह के दुखों को ही जन्म देती है बार -बार घरेलूं हिसा से पीडित रूत्री उस पुरूष के पास रहने के लिए मजबूर न किया जाये कभी बच्चों की परवरिश के नाम पर तो कभी इज्जत की खातिर तो कभी आर्थिक कमी की कारण आत्मनिर्भरता जरूरी रखे न अन्याय सहे न होता हुए देखे वरना किसी भी परिवार में किसी के भी साथ यह घटना हो जाती है जब पता चलता तो सोचने के अलावा कुछ नही बचता । जिस तरह का आज समाजिक परिवेश बन चुका है जब संयुक्त परिवार
खत्म होते जा रहे है वहां बडों की गैर मौजुदगी भी परिवारों के लिए कष्टदायक ही साबित हई  है आज की महिला
परिवार की तरफ उतनी जागरूक भी नही रहती है वर्तमान समाजिक परिवेश में बहुत बदलाव आये है जिसके लिए अभी भी भारतीय रूत्री -पुरूष भले ही देखा देखी जीवन शैली अपना रहे हो पर अभी उनकी मानसिकता में बदलाव बहुत जरूरी है । हाइली एजुकेटेड व्यक्ति जब इस तरह के कार्यो को अन्जाम दे तो समाज के आगे बहुत से प्रश्न  खडे हो उठते है आज सभी इस घटना से हक्के बक्के है व सोचने पर मजबूर हुए है एकबार इस तरफ भी ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है जब कोई महिला इस तरह की समस्या से ग्रसित होती है तो परिवार व समाज भी उसे महिला में ही दोष ढूंढने की कोशिश करता है । घरेलू हिंसा आज की सबसे ज्वलंत समस्या है जिसका तोड़ परिवारों में ही है कही और नही । जब कही किसी महिला को मारा जाता है तो लोग निजी मामला कह किसी के व्यक्तिगत मामलों दखल नही देते पर नही आज यह समाज की आवश्यकता है मानवता को जगाये कही कोई भी व्यक्ति किसी भी रिश्ते में हिसा का शिकार है तो उस पर ध्यान दे हम क्यो दखल दे? यह भावना मन में न रखे वरना आज के टैकनॉलॉजी के युग में इन्सान, इन्सान नही मशीन व दरिन्दा ही बन सकता है ।

7 comments:

Roshani said...

yah kisi insan ka kaam to ho nahin sakta. yah havaniyat ka jita jagta namoona hai. jismen samjh nahin wah hi aisa kary kar sakta hai.

vandana gupta said...

आज का युवा बहुत ही असहनशील हो गया है और ये सब उसी का नतीज़ा है……………बेहद वीभत्स कृत्य्।

डॉ. मोनिका शर्मा said...

बेहद शर्मनाक और अफसोसजनक...... धैर्य तो बचा ही नहीं है आज लोगों में...... सुनीता जी आपने बहुत अच्छे विषय पर बात की.....

Shalini kaushik said...

jis ghatna ka jikra aap kar rahi hain vah na keval dil dahla dene vali hai balki pyar se vishwas uthane vali hai .

Sunita Sharma Khatri said...

आप सभी ने टिप्पणियों के माध्यम अपनी बात रखी
अपना समय दिया आभार पर एक अपील भी इस विषय में समर्थ लोगो कुछ आगे आकर ठोस कदम भी उठाये जाने चाहिए वरना यह समाज इसी तरह के लोगो से रूबरू होता रहेगा। इन्सान बने दरिन्दे नही
क्योकि दरिन्दों व पिशाचों के लिए यह समाज नही है।

खबरों की दुनियाँ said...

घरेलू हिसां का इससे भयानक ,बडा उदाहरण शायद ही अन्य कोई हो। अच्छी पोस्ट , शुभकामनाएं । पढ़िए "खबरों की दुनियाँ"

Anonymous said...

जो हुआ बहुत ही बुरा और वीभत्स तरीके से किया गया.किन्तु............क्यों ये नौबत आई ?
क्या वो मानसिक रोगी था?
या..?????? कोई तो कारन रहा है इन सबके पीछे.
कभी उस व्यक्ति से पूछा गया वो क्या परिस्थितियाँ थी जिसके कारन वो ऐसा कर गुजरा.