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10.4.11

एक तस्वीर
ना जाने
कहाँ से
एकदम
सामने आ गई,
आँखों से होकर
दिल में समा गई,
ऐसा कहाँ है
हमारी तकदीर में
कि हम भी हों
तुम्हारी तस्वीर में।

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