मित्रों,कभी जनसेवा का सर्वश्रेष्ठ माध्यम मानी जानेवाली राजनीति आज अपने वास्तविक अर्थ को खोकर एक गाली बन गयी है.पिछले दिनों कुछ राजनेताओं (अमर सिंह भी शामिल) की आलोचनाओं से क्षुब्ध होकर भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी को कहना पड़ा कि आज भी भारत में अच्छे नेता हैं.कभी साफ-सुथरा माने जानेवाले इस क्षेत्र को काजल की कोठरी बनाने में यूं तो अनगिनत भ्रष्ट राजनेताओं का हाथ है लेकिन कुछ नेता तो स्वयं इस कोठरी के काजल हैं;जो कोई भी उनके संपर्क में आया उसने अपना चेहरा काला करवाया;बच पाने का प्रश्न ही नहीं.ऐसे नेताओं में सबसे आगे माने जाते हैं अमर सिंह.
मित्रों,उसके लिए कोई नैतिकता-अनैतिकता की कोई सीमा नहीं;कोई हिचक नहीं.वह इन समस्त सीमाओं से ऊपर है.वह खुलेआम खुद को भोगवादी बताता है और कहता है कि जब उसकी पत्नी को इससे कोई परेशानी नहीं;बेटी को कोई समस्या नहीं तो आपको क्यों है?वह यह नहीं समझ पाता कि कहीं-न-कहीं उसकी विकृत गतिविधियों के कारण समाज भी विकृत होता है.वह अपनी बेटी की उम्र की लड़कियों के साथ फोन पर अश्लील बातें करता है और मामला उजागर हो जाने पर बेशर्मी से स्वीकार भी कर लेता है.क्या पता वह अपनी बेटियों का सामना कैसे करता है?उसके कुकर्मों से शायद शर्म को भी शर्म आ जाए लेकिन उसकी आँखों का पानी तो कब का सूख चुका है.मित्रों अपने वाक्-चातुर्य और विवादस्पद बयानों के चलते यह शख्स जल्दी ही टेलीविजन चैनलों पर सबसे ज्यादा नजर आनेवाला चेहरा बन जाता है.रिमोट से चैनल बदलते जाइए,प्रत्येक चैनल पर यही नजर आता है;आप चाहे तो देखें या टी.वी. ही बंद कर दें.
मित्रों,अमर सिंह भारतीय राजनीति में संकटमोचक के नाम से भी जाने जाते हैं.सरकार को बचाने के लिए विधायक या सांसदों का जुगाड़ करना है अमर सिंह हैं न,किसी ईमानदार शख्सियत को बदनाम करना है नकली सी.डी.बनवाने के लिए अमर सिंह हैं न.काम चाहे कितना भी घटिया क्यों न हो अमर सिंह हैं न;इन्हें तो सिर्फ अपना उल्लू सीधा होने से मतलब है चाहे इसके लिए किसी को भी उल्लू क्यों न बनाना पड़े.इससे लाभ लेनेवाले कई बार हानि भी उठाते हैं.देखिए आजकल अनिल अम्बानी की क्या गत है?अनिल २-जी स्पेक्ट्रम घोटाले में जेल जाते-जाते बचे हैं तो अमर सिंह के ही कारण.यह बात और है कि उनके जेल जाने की नौबत भी इसलिए आई क्योंकि वे अमर सिंह के नजदीकी थे.
मित्रों,संस्कृत में एक श्लोक है-दुराचारो हि पुरुषो लोके भवति निन्दितः,दुखभागी च सततं व्याधिरल्पायुरेव च.अमर सिंह को निंदा से कोई फर्क ही नहीं पड़ता बल्कि वे तो उन लोगों में से हैं जो यह मानते हैं कि बदनाम हुआ तो क्या हुआ फिर भी नाम तो हुआ ही.बुढ़ापे में दुखभागी तो प्रत्येक व्यक्ति होता है;अब बचा उसके अल्पायु होने का प्रश्न तो यह व्यक्ति यमराज की कृपा से अच्छी-खासी जिंदगी जी ही चुका है.यानि अमर सिंह शाश्वत सत्य को धारण करनेवाले इस श्लोक को भी पूरी तरह से झूठा साबित कर चुका है;लगता है जैसे उसने भगवान को भी कुछ सप्लाई-तप्लाई करके मैनेज कर लिया है और युग के अनुसार युगधर्म निभाने के कारण भगवान ने उसे माफ़ भी कर दिया है.दोस्तों,अभी तो अमर सिंह दिल से जवान हैं.आगे उन्हें बहुत-सारे कारनामे करने बांकी हैं;अभी उन्हें अपनी नातिन की उम्र की लड़कियों के साथ रंगरेलियां मनाना भी शेष है;बहुत-सी भ्रष्ट सरकारों और भ्रष्ट लोगों के लिए संकटमोचक बनना है और देश को संकट के महासागर में धकेलना है.तो आईये आप भी सुबह-सुबह मेरे साथ इनके लिए प्रार्थना करिए-हे ईश्वर,इन्हें शतजीवी बनाना.
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